नई दिल्ली, 11 नवंबर 2024 – आगामी 13 नवंबर से हरियाणा विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है, और इससे पहले विपक्षी दलों के बीच की स्थिति को लेकर राजनीति गर्मा गई है। विधानसभा सत्र में सरकार के खिलाफ विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठने पर, नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी संकट और गुटबाजी को लेकर बड़ा बयान दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘नेता पार्टियों के होते हैं, धड़ों के होते हैं, लेकिन सामूहिक नहीं होते। कांग्रेस पार्टी नहीं हैं, ये भिन्न-भिन्न धड़ों का समूह हैं, इसलिए ये आपस में मिलकर नहीं बना सकते हैं। इसी कारण से इनका अभी तक फैसला नहीं हुआ है।’’
इस बयान के माध्यम से उन्होंने कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी और नेतृत्व संकट पर निशाना साधा। नेता प्रतिपक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस पार्टी में एकजुटता की कमी के कारण पार्टी में नेतृत्व का फैसला अब तक नहीं हो पाया है। उनका यह बयान पार्टी के आंतरिक संघर्षों और धड़ों के बीच की असहमति को लेकर था, जो आगामी विधानसभा सत्र में विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
कांग्रेस में कई धड़े और गुट सक्रिय हैं, जिनके बीच विचारधाराओं और कार्यशैली को लेकर अंतर है। कांग्रेस पार्टी के भीतर यह असहमति स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसका असर उनके नेतृत्व चयन पर भी पड़ रहा है। पार्टी में कौन नेता प्रतिपक्ष होगा, इसका फैसला अब तक नहीं हो पाया है, जिससे पार्टी के भीतर एकजुटता का अभाव दिखता है।
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व का संकट राज्य में विपक्ष की स्थिति को कमजोर कर सकता है, क्योंकि कोई स्पष्ट और सामूहिक रणनीति नहीं बन पा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जब पार्टी अपने भीतर एकजुट नहीं हो सकती, तो उसे किसी बड़े राजनीतिक संघर्ष या सरकार के खिलाफ लामबंदी में मुश्किलें आ सकती हैं।
विधानसभा सत्र के लिए विपक्ष की रणनीति
आगामी विधानसभा सत्र में, विपक्षी दलों के समक्ष सरकार को घेरने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का एक अहम अवसर होगा। हालांकि, कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और नेतृत्व का संकट विपक्षी दलों की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर असमंजस के कारण यह संभावना जताई जा रही है कि विपक्ष को अपनी रणनीति को लेकर एकसाथ आने में दिक्कत हो सकती है।
कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर जल्द ही पार्टी में एक मजबूत और सामूहिक नेतृत्व नहीं स्थापित किया गया, तो विपक्षी एकता की दिशा में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी, कुछ नेताओं के व्यक्तिगत राजनीतिक एजेंडों और एकजुटता की कमी के कारण विपक्ष के भीतर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
विपक्ष की एकजुटता की आवश्यकता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा सत्र में प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाना चाहती है, तो उसे अपनी आंतरिक समस्याओं को सुलझाना होगा। केवल चुनावी मामलों में नहीं, बल्कि विधानसभा के अंदर भी प्रभावी राजनीति और सरकार के खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने के लिए विपक्षी दलों को अपनी एकजुटता दिखानी पड़ेगी।
हालांकि, इस समय विपक्षी दलों के भीतर गुटबाजी और आंतरिक असहमति के कारण यह एक मुश्किल कार्य हो सकता है, लेकिन विधानसभा सत्र के दौरान अपनी एकजुटता साबित करना विपक्ष के लिए भविष्य में राजनीतिक ताकत का स्रोत बन सकता है।