
गुरुग्राम, 29 सितंबर- विश्व हृदय दिवस के अवसर पर आज राजकीय होम्योपैथिक डिस्पेंसरी दौलताबाद में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम “एक भी धड़कन न चूकें” के अंतर्गत होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीतिका शर्मा ने हृदय स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य हृदय रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को अपने दिल की देखभाल के लिए प्रोत्साहित करना है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि हमारा दिल हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन आज की तेज़-रफ्तार जीवनशैली, असंतुलित खान-पान, तनाव और शारीरिक निष्क्रियता इसे गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। पहले हृदय रोग केवल उम्रदराज लोगों में आम थे, लेकिन अब युवा भी इनका शिकार हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे बदलाव जैसे संतुलित आहार, रोजाना हल्का व्यायाम, धूम्रपान और शराब से दूरी, और तनाव प्रबंधन हृदय को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 1.7 करोड़ लोग हृदय रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कोरोनरी हृदय रोग सबसे प्रमुख हैं। हृदय रोगों से होने वाली कुल मौतों में लगभग 85 प्रतिशत मामले सीधे हृदय संबंधी समस्याओं से जुड़े हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि समय पर जांच और सावधानी बरतने से इन खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
हार्ट अटैक एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है, जिसके लक्षणों को समय रहते पहचानना जीवन रक्षक हो सकता है। प्रमुख लक्षणों में सीने में बेचैनी, दबाव या भारीपन (खासकर बीच या बाईं ओर), सांस लेने में कठिनाई, सांस फूलना, ठंडा पसीना, मतली, उल्टी, चक्कर आना, और अचानक गंभीर थकान शामिल हैं। ये लक्षण अचानक शुरू हो सकते हैं और कई बार हल्के रूप में भी प्रकट हो सकते हैं, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। हृदय रोगों के जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मानसिक तनाव, धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, और उच्च कोलेस्ट्रॉल प्रमुख हैं। इसके अलावा, अनियमित जीवनशैली, गलत खान-पान, और शारीरिक निष्क्रियता भी हृदय रोगों की संभावना को बढ़ाते हैं। यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है।
डॉ. नीतिका शर्मा ने बताया कि होम्योपैथिक चिकित्सा हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने और हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं से बचाव में प्रभावी हो सकती है। उन्होंने कहा कि नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित जीवनशैली और होम्योपैथिक दवाओं का सही उपयोग हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने दिल की सेहत को प्राथमिकता दें और लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।
उन्होंने कहा कि अपने दिल की सेहत को नजरअंदाज न करें। स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच के जरिए हम अपने दिल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि इस विश्व हृदय दिवस पर हम संकल्प लें कि हम अपने दिल की हर धड़कन का ख्याल रखेंगे। एक स्वस्थ दिल ही एक स्वस्थ जीवन की नींव है।