- पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस से कराएं गेहूं खराब होने के मामलों की जांच
- साल 2014 के बाद प्रदेश में 200 करोड़ से अधिक का गेहूं चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, दिखाया खराब
चंडीगढ़
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से लगातार गेहूं के खराब होने के मामले सामने आ रहे हैं. साढ़े 8 साल के अंदर प्रदेश में 200 करोड़ रुपये से अधिक का गेहूं बर्बाद किया जा चुका है. यह सिर्फ लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि गेहूं को बर्बाद करने की आड़ में बड़ा घोटाला किया गया है. ऐसे में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि उसने अब तक कितने अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पिछले दिनों प्रशासनिक सचिवों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से 2021 तक शुरू के 7 साल में 106 करोड़ रुपये का गेहूं बर्बाद कर दिया गया. इसके बाद भी गेहूं की बर्बादी के मामले नहीं रूके और पिछले डेढ़ साल में भी 82 करोड़ रुपये से अधिक का गेहूं खराब कर दिया गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं का खराब करने का मामला साधारण नहीं है, न ही यह लापरवाही कही जा सकती है. लापरवाही तो एक या दो बार हो सकती है, बार-बार तो कभी नहीं हो सकती. यह सत्ता के संरक्षण में खेला गया बड़ा खेल है, जिसकी जांच होनी चाहिए. जब से भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी है, गेहूं की बर्बादी के मामले बढ़े हैं. इसलिए साल 2014 के बाद से खराब हुए मामलों की पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज से जांच कराई जानी चाहिए.
कुमारी सैलजा ने कहा कि कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, यमुनानगर, सोनीपत व फतेहाबाद में स्टोर किए गए गेहूं का खराब होना कोई संयोग नहीं है. गोदामों में भरे बढ़िया क्वालिटी के गेहूं को आपसी मिलीभगत कर प्राइवेट प्लेयर के साथ मिलकर ओपन मार्केट में बेचा गया. बाद में इसकी जगह पर खराब गेहूं व मिट्टी को रखवा दिया गया, ताकि यह साबित किया जा सके कि गेहूं चोरी करके बाहर नहीं बेचा गया है, बल्कि गोदाम में रखा हुआ ही खराब हो गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस भाटिया ओपन प्लिंथ पर रखा 6 करोड़ रुपये का गेहूं खराब होने का मामला फिर से आया, वह कोविड के दौरान भी गरीबों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत रखे गेहूं को खराब करने की वजह से सुर्खियों में रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि जब इस फर्म के कारण पहले गेहूं बर्बाद हो चुका है, तो अब फिर इसकी सेवाएं क्यों ली गई. कुमारी सैलजा ने कहा कि जिस तरह से 200 करोड़ से अधिक रुपये के गेहूं की बर्बाद भाजपा कार्यकाल में हो चुकी है, उसकी निष्पक्ष जांच आज तक एक बार भी नहीं की गई. अगर एक भी दोषी को सजा मिलती तो फिर बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आती.