- राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले अपने प्रदेश में हारे फिर कर्नाटक में हार का मुंह देखना पड़ा
- हरियाणा में भी बना डर
- हिमाचल के बाद हरियाणा में भी भाजपा की हालत पतली
नई दिल्ली:भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने को चकनाचूर कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री ने देश से कांग्रेस भारत मुक्त का सपना संजोया था भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा अपने प्रदेश हिमाचल में भाजपा को नहीं बचा पाए वही रही सही कसर अब कर्नाटक चुनाव में भाजपा की करारी हार ने पूरी कर दी.
कर्नाटक चुनाव का असर हरियाणा की राजनीति पर
हिमाचल विधानसभा चुनाव के बाद देश में राजनीतिक पंडित चर्चा करने लगे थे कि आने वाले विभिन्न प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियां की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित भाजपा के तमाम नेताओं केंद्रीय मंत्रियों ने कर्नाटक में भाजपा की नाव को बचाने के लिए डेरा डाले रहे और कई जनसभाएं की लेकिन वहां की जनता ने बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए सत्ताधारी पार्टी को अलविदा कह दिया और कांग्रेस को भारी बहुमत के साथ सत्ता सौंप दी. कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव की जीत की जानकारी मिलने के बाद हरियाणा प्रदेश में भी राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है जिसका सबसे बड़ा कारण सत्ताधारी भाजपा पार्टी का गरूर लोगों को डराना धमकाना भ्रष्टाचार का नंगा नाच सब समझ में आ रहा है इसी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर घबराई हुई बताई जा रही है.
हिमाचल के दोनों बड़े नेता जहां अपने घर को नहीं बचा पाए वह दूसरे के गढ़ को क्या जीत पाएंगे
हिमाचल प्रदेश की बड़े नेता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आशाओं पर खरे नहीं उतर पाए लगातार हर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आश्वासन देती रहे हिमाचल में प्रदेश दोबारा भाजपा की सरकार बनेगी लेकिन उनकी आशाओं पर दोनों नेता खरे नहीं उतर पाए वही कर्नाटक में भी यही हाल होगा जिन नेताओं ने कर्नाटक में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए देश के प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया था और स्वयं प्रधानमंत्री से आग्रह किया था जनसभा कराने के लिए लेकिन वहां भी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की देश के प्रधानमंत्री देश के गृहमंत्री एक नहीं चली और कुछ विधायकों के सत्ता से बाहर होना पड़ा.