- जेजेपी और भाजपा हरियाणा की दसों सीटों पर चुनाव लडऩे का कर रही हैं ऐलान, गठबंधन तोडऩे को दोनो दल मानसिक रूप से तैयार, कार्यकर्ताओं का भी नहीं बैठ रहा तालमेल
ईश्वर धामु
हरियाणा की गठबंधन सरकार में सांझेदार भाजपा और जेजेपी के बीच कई महीनों से एक यक्ष प्रश्र दोनों के बीच खड़़ा हुआ है कि इनका गठबंधन चुनाव में कायम रहेगा या पहले ही टूट जायेगा? इस प्रश्र का सटीक जबाव अभी कोई भी दल देना नहीं चाह रहा है। जबकि भाजपा की आलाकमान के पास पार्टी संगठन ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। जानकार बताते हैं कि रिपोर्ट में भाजपा की हरियाणा इकाई ने अपने दम पर चुनाव लडऩे बारे कहा गया है। अब तो दोनों दलों के नेताओं की भाषा गठबंधन चलाने की जैसी नहीं रही है। भाजपा के मुख्यमंत्री तथा पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश धनखड़ के ब्यान गठबंधन तोडऩे के स्पष्ट संकेत देते हैें तो दूसरी ओर जेजेपी के नेताओं के बोल भी बिगड़े हुए लगते हैं। इस पर दोनों दलों ने गठबंधन का भविष्य भाजपा की आलाकमान और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर छोड़ा हुआ है। कशमश के इन हालातों में भाजपा और जेजेपी के नेता चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। दोनों दल लोकसभा की दस की दस सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने का दम भर रहे हैं। भाजपा संगठन और सरकार के स्तर पर चुनाव के लिए लगी हुई है ओर यही स्थिति जजपा की है। जजपा के संस्थापक डाक्टर अजय चौटाला भी प्रचार के मैदान में हैं। चर्चाकारों का कहना है कि गठबंधन टूटने से कमोबेशी झटका तो दोनो दलों को लगेगा। क्योकि दो बार की सरकार के बाद भी भाजपा गांवों में अपना जनाधार उबार नहीं पाई है तो जेजेपी शहरों में आपेक्षित कमजोर है। कुछ ही समय पहले तो लगने लगा था कि दोनों का गठबंधन कभी भी टूट सकता है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने निर्दलीय विधायकों के साथ बैठकें भी करनी शुरू कर दी थी। भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब ने सभी निर्दलीय विधायकों से दिल्ली में बैठक की। परन्तु फिर बात का रूख एकदम से बदल गया। भाजपा को न जाने ऐसा क्यो लगा कि अभी गठबंधन तोड़ऩेे का सही समय नहीं है। कहा जा रहा है भाजपा और जेजेपी का नेतृत्व गठबंधन तोडऩे के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रमों से जजपा कार्यकर्ताओं ने उचित दूरी बनाए रखी थी। तो जेजेपी के किसी भी कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ता या पदाधिकारी नहीं जाते। अब अगर हम 2019 के चुनाव में वोटों कह बात करें तो भाजपा नेे कुल 40 सीटे लेकर 36.44 प्रतिशत वोट हासिल किए थे तो जेजेपी को दस सीटें लेकर 14.80 प्रतिशत वोट मिले थे। अब अगर यें दोनों मिल कर चुनाव लड़ते हैं तो इनके पास 51.29 प्रतिशत वोट होगा। इस चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटें मिलेे थे और 14.80 प्रतिशत वोट मिले थे। इस प्रकार वोटों का समीकरण मिल कर चुनाव लडऩे में गठबंधन के पक्ष में जाता है। चर्चाकारों का कहना है कि चुनाव आंकड़े के आधार पर नहीं लड़ा जाता। क्योकि चुनाव के समय कई तरह के समीकरण काम करते हैं, जो जीत और हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब यही थ्यूरी भाजपा-जेजेपी गठबंधन पर भी लागूू होती है। दोनो गठबंधित दलों के लिए चुनावी समीकरण आए दिन बदल रहे हैं। लेकिन राजनीति मेें दखल रखने वालों का कहना है कि आने वाला लोकसभा चुनाव भाजपा और जेजेपी दोनो अपने-अपने स्तर लड़ेंगे। भाजपा हरियाणा की दस लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का सर्वे करवा रही है और जीत की रणनीति बनाने में लगी हुई है। तो दूसरी ओर जेजेपी भी दसों सीटों पर चुनाव लडऩे का दावा जता रही है। अब भाजपा इस स्थिति में है कि लोकसभा में पर्याप्त बहुमत के लिए कुछ करने को तैयार है। तो जेजेपी के दिज्विजय चौटाला अपने पिता एवं पार्टी के संस्थापक डाक्टर अजय चौटाला के भिवानी से चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। जबकि भिवानी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रत्याशी रेडमैन धर्मबीर सिंह दो बार चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे सभी हालातोंं को मध्यनजर रखते हुए गठबंधन का टूटना तय माना जा रहा है।