भाजपा अभी भी विभाजन से लाभ पाने के लिए संघर्ष कर रही है
भोपाल मध्य प्रदेश , 2019 के मध्य भारत विधानसभा चुनावों में प्रमुख पार्टियों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि 2018 में कांग्रेस ने 17 सीटें जीतीं और भाजपा की 33 में से लगभग आधी सीटें जीतीं, जो क्षेत्र की भाजपा-झुकाव वाली प्रकृति को उजागर करती है. भाजपा का लक्ष्य 2003 के कांग्रेस प्रदर्शन को दोहराकर मजबूत स्थिति बनाए रखना है, जिसका लक्ष्य कांग्रेस को दोहरे अंक से नीचे रखना है.
भाजपा का गढ़ मध्य भारत क्षेत्र है, जहां सीहोर जिले में आने वाला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का पैतृक गांव जैत है. यदि भाजपा के होम पिच की बात की जाए तो इसमें सीहोर और विदिशा का नाम है, जिसमें नर्मदापुरम एवं हरदा का नाम भी शामिल है और भाजपा से सागर में भूपेन्द्र सिंह, गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह आगे चल रहे हैं.
मध्य भारत क्षेत्र में कांग्रेस को भाजपा पर पकड़ बनाए रखने के लिए सीटें बढ़ाने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 2018 में कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले लगभग आधी सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी. कांग्रेस का 2018 का प्रदर्शन दो दशकों में सर्वश्रेष्ठ था, जिसमें पार्टी ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन करीब डेढ़ वर्ष के भीतर अशोकनगर, रायसेन और सागर से उपचुनावों में एक – एक सीटें हार गईं.
2018 के मुकाबले 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 34 सीटों का था, जहां कांग्रेस आठ सीटों पर रह गई थी. परिसीमन के पश्चात भी सीटें बढ़ने के बावजूद, भाजपा अभी भी विभाजन से लाभ पाने के लिए संघर्ष कर रही है.