लोकसभा की 78 सीटें बढ़ेंगी, 2026 से शुरू होगा परिसीमन:इससे दक्षिणी राज्यों को नुकसान नहीं; सरकार जनसांख्यिकी का संतुलन भी साधेगी
लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत 2026 से होगी। ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग 78 सीटों के इजाफे की संभावना है।
दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है। इसलिए सरकार समानुपातिक आधार पर परिसीमन की तरफ बढ़ेगी, जिसमें जनसांख्यिकी संतुलन बनाए रखने का फ्रेमवर्क तैयार हो रहा है।
जानकारों का कहना है कि 2025 तक जनसंख्या प्रोजेक्शन के डेटा के हिसाब से उत्तर प्रदेश में 14, बिहार में 11, छत्तीसगढ़ में 1, मध्य प्रदेश में 5, झारखंड में 1, राजस्थान में 7 और हरियाणा तथा महाराष्ट्र में 2-2 सीटों के इजाफा होने की संभावना है।
वहीं, तमिलनाडु में 9, केरल को 6, कर्नाटक को 2, आंध्र प्रदेश को 5 तेलंगाना को 2, ओडिशा को 3, और गुजरात को 6 सीटों का नुकसान होने की आशंका है।
परिसीमन क्या है- परिसीमन का अर्थ है लोकसभा अथवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया। परिसीमन के लिए आयोग बनता है। पहले भी 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं।
अब जानिए इस परिसीमन से जुड़े सवाल और उनके जवाब…
1. परिसीमन का फ्रेमवर्क क्या होगा?
परिसीमन आयोग से पहले सरकार ने फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। प्रतिनिधित्व को लेकर मौजूदा व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं होगी, बल्कि जनसांख्यिकी संतुलन को ध्यान में रखकर एक ब्रॉडर फ्रेमवर्क पर विचार जा रहा है।
2. समानुपातिक प्रतिनिधित्व क्या होगा?
तमिलनाडु-पुडुचेरी में लोकसभा की 40 सीट है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान की 80 सीटों से 14 सीट बढ़ती हैं तो इसकी आधी अर्थात 7 सीट तमिलनाडु-पुद्दुचेरी में बढ़ाना समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। अर्थात सीट बढ़ाने के लिए जनसंख्या ही एक मात्र विकल्प नहीं है।
आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्टी में बढ़ेंगी उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेगी। किसी लोकसभा में 20 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा तो दूसरी जगह 10-12 लाख की आबादी पर एक सांसद होगा।
3. अल्पसंख्यक बहुल सीटों का क्या होगा?
देश के 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20%से 97%तक है। सूत्रों के अनुसार इन सीटों पर जनसांख्यिकी संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है।
4. महिला आरक्षण के बाद क्या होगा?
1977 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के बाद इसे डिफ्रीज करना लाजमी है। जनसंख्या वृद्धि दर में प्रभावी नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा।