42वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला के हरियाणा पवेलियन में दिया गया सदभावना व युग चेतना का संदेश
नई दिल्ली, 27 नवंबर – दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 42वां अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला जहाँ एक ओर देश-विदेश के दस्तकारों व कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का मंच प्रदान किया, वहीं दूसरी ओर मेला के हरियाणा पवेलियन में आगुंतकों की संख्या में भी लगातार भीड देखने को मिली। बच्चों से लेकर वृद्धों तक, सभी में इस मेला को देखने का जुनून देखने को मिला। इस अवसर का लाभ उठाते हुए सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि०), फरीदाबाद ने वर्तमान परिस्थितियों के तहत आगुंतकों तक निःस्वार्थ भाव से सद्भावना व युग चेतना का संदेश पहुँचाने की पहल की है और हरियाणा पवेलियन के अंतर्गत एक अनूठा स्टाल ‘ध्यान-कक्ष’ के नाम से देखने को मिल रहा है जिसमें लोगों को सदभावना, चेतना व शांति का संदेश दिया जा रहा है ताकि समाज में फैला हुआ भिन्नता, लड़ाई-झगडे, वैर-विरोध, द्वेष के वातावरण को समाप्त किया जा सके। यह एक प्रकार से मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के ‘हरियाणा एक- हरियाणवीं एक’ के सिद्धांत को चरितार्थ कर रहा है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जहां भी जाते हैं – ‘हरियाणा एक – हरियाणवीं एक’ के बारे में बात करते हैं। उन्होंने पूरे प्रदेश में समान रूप से विकास कार्य भी करवाएँ हैं। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने पहली बार महर्षि वाल्मीकि, गुरू गोबिन्द सिंह, संत कबीर दास, गुरु रविदास, महर्षि कष्यप, संत रविदास तथा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों की जयंतियों को हर साल सरकारी तौर पर मनाने का निर्णय लिया है। सही मायने में, सरकार के इस निर्णय से इन महापुरुषों को न केवल सच्ची श्रद्धांजलि देने का कार्य हुआ है, बल्कि समाज को भी उनकी शिक्षाएं ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ है ताकि एक सभ्य समाज की स्थापना हो। इन महापुरूषों की जयंतियों का आयोजन राज्य स्तर पर सूचना, जनसंपर्क और भाषा विभाग के सहयोग से संबंधित प्रशासन द्वारा किया जाता हैं, और इनमें आमतौर पर भाषण, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम व प्रदर्शनी जैसे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम शामिल होते हैं। इन समारोहों का उद्देश्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनके मूल्यों, शिक्षाओं और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना है।
शांति से सुखमय जीवन व्यतीत करने का दिया जा रहा संदेश
हरियाणा पवेलियन में स्थापित ध्यानकक्ष स्टाल के संचालक कर्नल अतुल डांग ( सेवानिवृत) ने बताया कि ग्रेटर फरीदाबाद, सतयुग दर्शन वसुंधरा परिसर में स्थापित यह ध्यान-कक्ष वास्तव में भौतिक ज्ञान से भिन्न, आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाला समभाव समदृष्टि का स्कूल है। यहाँ से बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग को सतयुगी उत्कृष्ट नैतिक संस्कृति से परिचित कराने, समभाव, समदृष्टि की युक्ति अनुसार आपस में मैत्री भाव से रहने की शिक्षा प्रदान की जा रही है ताकि समाज में फैला हुआ भिन्नता, लड़ाई-झगडे, वैर-विरोध तथा द्वेष का वातावरण समाप्त हो और सब आपस में मिलजुल कर शांति से रहते हुए सुखमय जीवन व्यतीत करें।
मानव को विधिवत आत्मिकज्ञान प्रदान कर, पुनः आत्म-स्मृति में लाने का प्रयास जारी
कर्नल के अनुसार आज की परिस्थितियों के अंतर्गत इस अनूठे ध्यान-कक्ष से सबको सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित शब्द ब्रह्म विचारों अनुसार सबको समभावी, समचित्त, समबुद्धि व समदृष्ट इन्सान बनाने हेतु आध्यात्मिक कार्यकलाप चलाए जा रहे है। इस आध्यात्मिक कार्यकलापों के अंतर्गत हर आत्म-विस्मृत मानव को, विधिवत आत्मिकज्ञान प्रदान कर, पुनः आत्म-स्मृति में लाने का प्रयास जारी है ताकि वैश्विक-स्तर पर हर मानव विचार, एक-दृष्टि, एकता अपनाकर अपनी श्रेष्ठता के अनुरूप मन-वचन-कर्म द्वारा सजन पुरुष बनने में सक्षम बनाया जा सके।
सतयुग की सर्वाेत्कृष्ट संस्कृति अपनाने का दिया जा रहा है सुझाव
कर्नल अतुल ने बताया कि इस सन्दर्भ में मेला में लगे इस ध्यान-कक्ष के स्टाल के माध्यम से सबको सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ अनुसार पुनः सुमति में लाने के लिए त्रेता, द्वापर व कलियुग की बातें, जो युग अब आने वाला है यानि सतयुग की सर्वाेत्कृष्ट संस्कृति यानि आचार-संहिता अपनाने का विधिवत सुझाव दिया जा रहा है ताकि सबका चारित्रिक रूप सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान बन सके और मानव पुनः अपनी उत्कृष्ट यथार्थ को प्राप्त हो तथा सत्यमेव जयते के कथन को सत्य सिद्ध कर सके।
सन्तोष-धैर्य अपनाकर सच्चाई व धर्म की राह पर दृढ़ता से चलने का सभी लें संकल्प
कर्नल डांग ने बताया कि इस तरह, विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से इस स्टाल के सदस्यों द्वारा सबको उत्कृष्ट इन्सान बनने हेतु निवेदन किया जा रहा और कहा जा रहा है कि आत्मिक ज्ञान प्राप्तकर, आत्मिक गुण यानि सन्तोष-धैर्य अपनाकर सच्चाई व धर्म की राह पर दृढ़ता से चलने का संकल्प लें और सच्चे दिल से कुदरती वेद-शास्त्र विदित ईश्वरीय आज्ञाओं के पालन के निमित्त आत्म-समर्पण करने का पुरुषार्थ दिखाएं तथा इस धरा पर पुनः सतयुग जैसा उत्तम समयकाल आए।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे भाव-स्वभाव छोड़ परोपकारी बनने का दिखाएं साहस
प्रगति मैदान में चल रहे मेला में हरियाणा पवेलियन के इस स्टाल के माध्यम से यही नहीं, सबको यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि इस हेतु काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे भाव-स्वभाव छोड़ व निष्कामता अपनाकर मानव-धर्म को सत्यनिष्ठा से अपने मन-वचन-कर्म द्वारा प्रतिष्ठित कर परोपकारी बनने का साहस दिखाएं, तभी सम्पूर्ण मानव-जाति ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ की अवधारणा को चरितार्थ कर एक सत्यनिष्ठ व धर्मपरायण संगठित परिवार की तरह मिलजुल कर रहने के योग्य बन पाएगी और ब्रह्म अवस्था को धारण कर यानि एकता, एक-अवस्था में आकर अपने जीवन के परम लक्ष्य यानि मोक्ष को प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।