सत्ताधारी दो बड़े नेताओं के टकराव के चलते 700 बेड के सरकारी अस्पताल का निर्माण भूमिगत
नई दिल्ली 18 दिसंबर। देश की राजधानी दिल्ली के साथ लगते हुए हरियाणा प्रदेश के करीब 60 लाख आबादी वाला गुरुग्राम सरकारी अस्पताल के निर्माण का इंतजार कर रहा है और गुरुग्राम निवासियों की आंखों में किस प्रकार से धूल धोखे जा रही है यह तो प्रदेश की जनता और सत्ताधारी नेताओं को भी पता है लेकिन हरियाणा प्रदेश में विपक्ष सत्ता की गोदी में बैठा हुआ कोई भी आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है और गुरुग्राम की जनता निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर करोड़ अरब रुपए दे रही है मगर सरकारी 700 बेड का अस्पताल कब बनेगा इसका इंतजार कर रही है हरियाणा में भाजपा को सत्ता में रहते हुए 9 वर्ष बीत चुके लेकिन सरकारी अस्पताल के निर्माण का अता-पता नहीं है।
जिस समय भाजपा सत्ता में आई थी और भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के दावेदारों को दरकिनार कर मनोहर लाल खट्टर को सत्ता की चाबी सौंपी थी उसे समय गुरुग्राम वासियों को ऐसा लगा था कि उनकी आशाओं पर सरकार खराब उतरेगी और जो गुरुग्राम में समस्या स्वास्थ्य की है उसे समस्या का समाधान हो जाएगा उसे समय हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में 700 बेड के सरकारी अस्पताल के निर्माण की बात कही थी और पुराने अस्पताल को धराशाई कर दिया था लेकिन आज तक पुराने अस्पताल को टूटे हुए 2 वर्षों से अधिक होने जा रहे हैं निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ जिससे अब जिले वासियों की आशा भाजपा से भिन्न होती जा रही है।
चंडीगढ़ में क्यों दबे हुए हैं गुरुग्राम के अस्पताल की फाइल को
हरियाणा प्रदेश में कहावत है जिस शहर का जनता का प्रत्याशी कमजोर हो उसे शहर की रखवाली नहीं हो सकती गुरुग्राम से करीब 1 वर्ष पहले एफ ए आर बढ़ाने के लिए चंडीगढ़ में फाइल भेजी हुई है लेकिन मैं फाइल अधिकारियों की रद्दी की टोकरी में दबी हुई है जिससे करीब 2 वर्ष से अधिक निर्माण का इंतजार कर रहा सरकारी अस्पताल मुंह खोल पड़ा हुआ है।
आखिरकार कौन है जिम्मेवार अधिकारी किसकी रद्द की टोकरी में है सरकारी भवन की फाइल
आखिरकार चंडीगढ़ में ऐसा कौन दमदार अधिकारी है जो 1 वर्ष से अधिक समय हो गया गुरुग्राम के सरकारी अस्पताल की एफ ए आर बढ़ाने की फाइल को रोके हुए हैं हरियाणा सरकार को ऐसी लापरवाही कार्य पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए जो जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है उसे सरकार की छवि को धूमल करने में योगदान दे रहा है
दो सत्ताधारी नेताओं के टकराव के चलते 700 बेड का अस्पताल का निर्माण गायब
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो हरियाणा प्रदेश में सत्ताधारी दो बड़े नेता आपस में टकराए हुए हैं जिससे गुरुग्राम में बनने वाला 700 बेड का अस्पताल का निर्माण गायब हो गया है और जिले की करीब 50 लाख से अधिक आबादी प्राइवेट अस्पतालों में लूटने पर मजबूर लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधि जनता के समक्ष सरकारी अस्पताल के निर्माण को लेकर बोलने तक तैयार नहीं है ऐसे लगता है उन्हें सांप सुन गया हो।
ज्ञात होगी कि ज़िला गुरुग्राम में 42 वर्ष पहले 1975 में 120 बेड के सरकारी अस्पताल का प्रावधान प्रभावित था उसे समय गुरुग्राम की संख्या लगभग 1 लाख थी इस अस्पताल का क्षेत्रफल 5.73 एकड़ था, 2006 में इसी अस्पताल की संख्या बढ़कर 200 बेड का कर दिया गया जबकि 2017 में एक दिन में जब 3000 तक ओपीडी पहुंच गई उसे समय सरकार ने फैसला किया की गुरुग्राम में ढाई सौ से 300 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में दाखिल किए जाते हैं और सरकारी अस्पताल छोटा पड़ रहा है क्यों ना बड़ा किया जाए। वर्ष 2008 और 9 में सरकार ने जिला छतरपुर 6 अस्पतालों में सुविधा बढ़ाने का निर्णय लिया था जिसमें गुरुग्राम अस्पताल भी शामिल था, वर्ष 2017 में बेड की कुल संख्या 200 से 300 करने का स्वास्थ्य विभाग की ओर से आदेश दिया गया। लेकिन उसे समय अस्पताल के भवन की मजबूती को चेक करने के लिए सी बी आर आई रुड़की को आवेदन किया गया परंतु पीडब्ल्यूडी और बी एंड आर को जब यह एस्टीमेट भेजा गया तो यह बात सामने आई कि 19 करोड़ खर्च करने के बाद भी इसे पूरी तरह से नहीं चलाया जा सकता और उसे समय डॉक्टर के निवास की हालत को भी ठीक नहीं बताया गया और कहा गया ढाई सौ नए घर बनाने की भी आवश्यकता है
सिविल सर्जन की ओर से सरकार के संज्ञान में लाया गया की अस्पताल के साथ लगती हुई करीब चार एकड़ जमीन सरकारी स्कूल की है अगर वह अस्पताल को मिल जाती है 200 बेड का अतिरिक्त और अस्पताल बन सकता है सरकार ने सिविल सर्जन के सुझाव को मानते हुए गुरुग्राम के लिए पहले 500 और 500 से बड़ा कर बाद में 700 अस्पताल के निर्माण की घोषणा कर दी। जिससे गुरुग्राम की जनता में सरकार के फैसले को लेकर खुशी जाहिर की गई कि अब उन्हें निजी अस्पतालों के हाथों में लूटने नहीं पड़ेगा।
और सरकार ने 2019 में सिविल अस्पताल की बिल्डिंग को गिराने की अनुमति दे दी । वर्ष 2021 सितंबर में बेड की संख्या 200से 400 करने की अनुमति प्रदान की गई
नियम अनुसार 7.73 एकड़ भूमि पर 400 बेड का भवन निर्माण की योजना आकिटेकचर डिपार्टमेंट को भेज दी और 2022 में सरकारी स्कूल की भूमि भी स्वास्थ्य विभाग को ट्रांसफर हो गई लेकिन अभी तक जमीन का सर्वे नहीं किया गया है और पीडब्ल्यूडी और बनार विभाग एक दूसरे विभाग की ओर टकटक की लगे देख रहा है।