मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ‘CCC’ यानी कास्टिज्म, करप्शन और क्राइम के मुद्दों पर हरियाणा में हमेशा चर्चा होती रही है। मनोहर लाल ने कास्टिज्म, करप्शन और क्राइम को ख़त्म करने का बीड़ा उठाया और उनकी यही बातें उन्हें औरों से अलग करती हैं। पूर्व की सरकारों में जातिवाद, भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दे सरकारों की नाकामी की वजह से उठते रहते थे क्योंकि हरियाणा प्रदेश में CCC एक संस्कृति का रूप ले चुकी थी। इसलिए इस पर कोई राजनेता चर्चा भी नहीं करना चाहता था। लेकिन वर्तमान में CCC के मायने बदल चुके हैं। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुलेआम CCC को मुद्दा बनाते नजर आ रहे हैं। तो क्यों न आज इस मुद्दे पर विश्लेषण किया जाए?
तो चलिए समझते हैं कि पूर्व और वर्तमान सरकार के CCC में आखिर अंतर क्या है? सबसे पहले बात करते हैं पहले C यानी जातिवाद या वंशवाद के मुद्दे की। कथित तौर पर तो यह भी कहा जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने कहा था कि सरकारी नौकरी तो जाटनी के पेट में ही पक्की हो जाती है। बेशक पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला 36 विरादरी को साथ लेकर चलने की बात क्यों न कहते हों, लेकिन वह भी जातिवाद के दम पर ही सत्ता तक पहुंचते हुए नजर आते थे। यदि आप अतीत के पन्नों को पलट कर देखेंगे तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी। इनका वंशवाद और परिवारवाद भी किसी से छिपा नहीं है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो जातिवाद की राजनीति के कारण कई बार विवाद में भी घिर चुके हैं।
आपकों ध्यान होगा कि वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री के पद पर होते हुए उन्होंने आखिल भारतीय जाट महासभा सम्मेलन में कहा था कि वे मुख्यमंत्री बाद में और जाट पहले हैं। ऐसा बयान देने के बाद उनकी खूब अलोचना हुई थी। उस समय राजनेतिक विश्लेषकों का मानना था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की देसबाली (रोहतक, सोनीपत, झज्जर जिले) के जाट वोट बैंक पर तो पहले ही पकड़ थी। यह बयान उन्होंने बांगड़ (हिसार जिले के आसपास के क्षेत्र) के जाट वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए दिया था। जो बांगड़ जाट वोट बैंक ओमप्रकाश चौटाला का माना जाता था। हुड्डा जी की इस टिप्पणी से सीधा जातिवाद ही झलकता है।
भाजपा द्वारा जब हरियाणा की बागडोर जब मनोहर लाल को सौंपी गई थी, तभी यह स्पष्ट हो गया था कि हरियाणा की राजनीति करवट लेने वाली है और राज्य में परंपरागत राजनीति की दीवार टूटने वाली है। इसकी झलक भी जल्द ही दिखलाई दी जान मनोहर लाल ने प्रदेश की बागडोर सम्भालते ही ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ का नारा देकर जातिवाद के मुद्दे पर पूरी तरह लगाम लगा दी थी। मनोहर लाल ने गरीब, महिला, किसान और युवा को केंद्र में रख कर उनके सशक्तिकरण के लिए काम शुरू किया। परिणाम ये हुआ कि जिस हरियाणा में पहले हर योजना, हर नीति जाति केंद्रित होती थी, वही योजना, वही नीतियाँ गरीबों के केंद्रित बनने लगी, विकास में पीछे छूट गए लोगों के लिए बनने लगी। उनके लट्ठ ने कास्टिज्म, करप्शन और क्राइम को ख़त्म कर हरियाणा में आम लोगों की जिंदगी आसान कर दी है।
चलिए अब हम समझते हैं दूसरे C यानी करप्शन (भ्रष्टाचार) के बारे में। यह बात भी जग जाहिर है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। यहां तक कि भ्रष्टïाचार के आरोप में अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए सजा तक सुनाई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुआ भूमि आवंटन घोटाला प्रदेश में हमेशा चर्चा में रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कई मुद्दे उठते रहे थे।
ऐसा नहीं है कि वर्तमान सरकार में अधिकारियों व कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का अभी तक कोई आरोप नहीं लगा है लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल कड़े संदेश देते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित और बर्खास्त करने के निर्णय लेते रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल करप्शन पर पूरी तरह अकुंश लगाने के लिए सरकारी काम काज में पारदर्शिता लाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए अब तक सरल पोर्टल पर 54 विभागों की 675 योजनाओं और सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है।
पूर्व की सरकारों में हरियाणा में कर्मचारियों का तबादला किसी उद्योग से कम नहीं होता था और नौकरियों की बंदर बांट राजनीति का प्रॉपेलर बन गई थी लेकिन अब ऑनलाइन प्रणाली से कर्मचारी बिना पर्ची खर्ची के अपना तबादला एवम सक्षमता के आधार पर नौकरियां पा रहे हैं। पहले लोगों को सरकारी दफ्तरों में अपना काम करवाने के लिए कर्मचारियों की जेब गर्म करनी पड़ती थी जबकि अब पोर्टलों की मदद से लोग घर बैठे आसानी से अपने अधिकार पा रहे हैं। इसके अलावा मनोहर लाल की भ्रष्टाचार पर चोट के लिए स्टेट विजिलेंस का पुर्नगठन एसीबी (एंटी क्रप्शन ब्यूरो) के रूप में किया है जिसके तहत ठोस कार्रवाई करने के लिए एसीबी को कई तरह की शक्तियां भी प्रदान की गई हैं। यही वजह है कि एसीबी भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों को लगातार सलाखों के पीछे भेज रही है।
अब हम बताते हैं तीसरे C यानी क्राइम (अपराध) के बारे में। कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जो देखने में तो छोटे लगते हैं लेकिन ये बड़े अपराधों को जन्म देने का कारण बनते हैं जिन्हें सरकार चाहे तो रोक सकती है। प्रदेश में पूर्व में रही सरकारों ने कभी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़े अपराधों को जन्म देने वाले कारणों पर भी गंभीरता से कार्य करते हुए नशे के अवैध कारोबार पर सबसे ज्यादा चोट पहुंचाने का काम किया है। इस दौरान प्रदेश में हजारों नशे के सौदागारों को गिरफ्तार कर न केवल सलाखों के पीछे भेजा गया बल्कि नशे के धंधे की कमाई से बनाई गई उनकी अवैध सम्पत्तियों पर भी बुल्डोजर चला कर नष्ट कर दिया गया।
जैसा कि हमने आपकों अपने पिछले एपीसोड में दिखाया था कि कैसे डायल 112 पर फोन मिलाते ही आठ मिनट के भीतर पुलिस की वैन न केवल लोगों की मदद के लिए मौके पहुंच रही है बल्कि रात के समय सवारी न मिलने पर कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाने का काम भी कर रही है। इसके अलावा पहले अपराध होने पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए लोगों को धक्के खाने पड़ते थे और कुछ राजनेताओं का चौकी थानों पर तो ऐसा कब्जा था कि उनकी आज्ञा के बिना एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी। जबकि अब हरसमय पोर्टल की मदद से लोगों को घर बैठे एफआईआर दर्ज करवाने की सुविधा मिल रही है।
पूर्व में CCC यानी कास्टिज्म, क्रप्शन, क्राइम सत्ता तक पहुंचने का सबसे बड़ा साधन था। लेकिन आज CCC के खात्मे की वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल आम जनता को सुशासन देने का माध्यम बन चुके हैं तो आप खुद ही देख सकते हैं कि CCC के मायनों में पहले के मुकाबले अब कितना बदलाव आ रहा है। यही कारण है कि एक कुशल प्रशासक के रूप में उनकी एक साफ़-सुथरी छवि आम जनमानस में बनी है जिसका सबूत हमें आये दिन मिलता रहता है जब हम गलियों में, सड़कों पर आम लोगों से बात करते हैं। देखने वाली बात ये होगी कि इसका कितना लाभ भाजपा को लोक सभा और विधान सभा चुनाव में मिलता है।