वेस्ट UP में हुए सियासी नुकसान की भरपाई पर BJP की नजर, RLD कोटे से मुस्लिम की लग सकती है लॉटरी
उत्तर प्रदेश 10 फ़रवरी 2024| भाजपा ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 7 और विधानसभा में 31 सीट गंवाईं थी। यहां तक कि शामली में भाजपा खाता तक न खोल पाई। वहीं रालोद भी जाट, मुस्लिम और दलित के समीकरण के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भाजपा रालोद के जरिए वेस्ट यूपी में जमीन और मजबूत करने की िदशा में काम कर रही है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा की नजर पिछले पांच साल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए सियासी नुकसान की भरपाई पर है। लोकसभा चुनाव 2019 और इसके बाद विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को जाट-मुस्लिम बहुलता वाली सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। रालोद के साथ गठबंधन से जाटों के साथ मुस्लिम वोट हासिल करने की जुगत भी लगाई जा रही है। हालांकि यह तो नतीजे ही बताएंगे कि गठबंधन का प्रयोग कितना सफल रहा ?
मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा ने साल 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी के 22 जिलों में बंपर बहुमत हासिल किया था। जाट वोट बैंक भाजपा पर ट्रांसफर हो जाने के कारण रालोद का खाता भी खाली हो गया था।
वर्ष 2017 में सिर्फ छपरौली में सहेंद्र रमाला ही रालोद से जीते, लेकिन वह भी बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2019 आते-आते जाट, दलित और मुस्लिम मतों की अधिकता वाली सीटों पर भाजपा का असर कम होने लगा।
यही वजह है कि बीजेपी को बिजनौर, सहारनपुर, नगीना, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद और रामपुर सीटें गंवानी पड़ीं. किसान आंदोलन के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को पश्चिमी यूपी की 60 में से सिर्फ 40 सीटें ही मिल सकीं. 31 सीटों पर विपक्षी दलों एसपी-आरएलडी के उम्मीदवार जीते.
हालात ऐसे बने कि शामली जिले में बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई. विधानसभा चुनाव में एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका. मुजफ्फरनगर जिले की छह में से पांच सीटें विपक्ष के खाते में गईं। शून्य से शुरुआत करने वाली आरएलडी के नौ विधायक जीते, जिससे बीजेपी को भी पश्चिमी यूपी में अपनी बढ़ती ताकत का एहसास हुआ.
मिशन 400 के लक्ष्य को लेकर बीजेपी तैयारियों में जुटी है, इसलिए सबसे पहले फोकस पश्चिमी यूपी पर है. दरअसल, चुनाव का पहला चरण भी यहीं से शुरू होता है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी आरएलडी के साथ गठबंधन कर जाट वोट बैंक के अलावा मुस्लिम वोटों में भी सेंध लगाने की तैयारी कर रही है.
रालोद के कोटे से मुस्लिम की लग सकती है लॉटरी
आरएलडी भी जाट, मुस्लिम और दलित के समीकरण पर आगे बढ़ रही है. गठबंधन में किसी मुस्लिम को उसके हिस्से का राज्यसभा, एमएलसी या मंत्रालय में से कोई एक पद दिए जाने की संभावना है. मुस्लिम नेताओं ने भी रालोद नेतृत्व से संपर्क करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, बीजेपी से गठबंधन के बाद टिकट के कई दावेदार अपने पदों का गुणा-भाग भी कर रहे हैं.