नई दिल्ली, 15 फरवरी 2024| सुप्रीम कोर्ट गुरुवार, 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है। यह एक तंत्र है जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देता था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे।
क्या है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बांड धन उपकरण हैं जो वचन पत्र या वाहक बॉन्ड के रूप में कार्य करते हैं जिन्हें भारत में व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा खरीदा जा सकता है। बॉन्ड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को धन के योगदान के लिए जारी किए जाते हैं। ये बांड भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी किए जाते हैं और ₹1,000, ₹10,000, ₹1 लाख, ₹10 लाख और ₹1 करोड़ के गुणकों में बेचे जाते हैं। इस योजना के तहत कॉर्पोरेट और यहां तककि विदेशी संस्थाओं द्वारा दिए गए दान पर 100% कर छूट का आनंद लिया गया, जबकि बैंक और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दलों दोनों द्वारा दानदाताओं की पहचान गोपनीय रखी जाती है