Uttrakhand Tourisum: किसी भी राज्य में शासन और प्रशासन दोनों की व्यवस्था और उनके रखरखाव की जिम्मेवारी लगभग पुलिसवालों और सरकार के आला अधिकारीयों के हाथों में ही होती है। लेकिन जब वही शासन और प्रशासन दोनों अपनी जिम्मेवारियों से मुँह मोड ले तो उस प्रदेश में वहां के सरकार द्वारा लाई गयी सुव्यवस्था भी कुव्यवस्था का स्वरुप लेने में थोड़ा भी देर नहीं करती।
अब देखिए ना, एक तरफ जहाँ देवभूमि में उत्तराखंड सरकार पर्यटकों को लुभाने हेतु जहाँ नए नए स्कीम्स लांच कर रही है. सभी पर्यटन स्थलों के रख रखाओ पर जहाँ सरकार खासा ध्यान दे रही है तो वही दूसरी तरफ उन्ही की पुलिस सरकार के सभी रख रखाओ का बेडा गर्क करने में जुटी हुई है। एक तरफ जहाँ उत्तराखंड में पर्यटन से हुए आमदनी का कुल हिस्सा 15.45 है. आंकड़ों की बात करें तो 2013-14 की रिपोर्ट के मुताबिक देवभूमि में सालाना ४ करोड़ देसी पर्यटक और 1.5 लाख विदेशी पर्यटक आते है। वहीं पर्यटन में 2013-14 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में पर्यटन व्यवसाय ने ₹ 23,000 करोड़ का उत्पादन किया। वहां दूसरी तरफ उत्तराखंड पुलिस सरकार द्वारा बढ़ावा दिए गए इसी पर्यटन को बदनाम करने में जुटी है।
खबर नैनीताल से है जहाँ रुसी बाईपास के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी है। जिससे वहां जाम की स्तिथि उत्पन्न हो गई है. वही दिल्ली और आस पास के मैदानी इलाकों में पद रहे भीषण गर्मी के कारण पर्यटक थोड़े रहत के लिए लगतार पहाड़ों की तरफ भाग रहे है। ऐसे में पर्यटकों की बढ़ोतरी में भी लगतार इजाफा हो रखा है। वहीं उत्तराखंड पुलिस को इस जाम से निपटने का जब कोई उपाय नहीं दिखा तो पुलिस ने मुख्य रास्तों पर बैरिकेडिंग लगा अपनी मनमानी शुरू कर दी। वही नैनीताल की और जा रहे पर्यटकों का कहना है की पुलिस जान बूझकर दिल्ली-हरियाणा और राजस्थान वाले लगे नंबर प्लेट्स वाली गाड़ियों को रोक रही है। कई पर्यटकों का कहना है की इससे उनका समय बर्बाद होता है और साथ ही चढ़ाई नुमा रास्तों पर रुकने के कारण कोई अनावश्यक दुर्घटना की स्तिथि लगतार बनी रहती है।
खैर देवभूमि की पुलिस में कही पर्यटकों के लिए देवतुल्य महिमा तो कहीं दिखाई नहीं देती। वैसे भी बात जब शांतिपूर्ण पर्यटन की आती हो तो ऐसे में उत्तराखंड पुलिस के हाथ खून से सने नजर आते है। आपको बताते चलें की दैनिक जागरण मे छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक 3 जुलाई 2009 को इसी उत्तराखंड पुलिस ने गाजियाबाद के रहने वाले और देहरादून से रहकर MBA की पढाई करने वाले छात्र रणवीर सिंह को एक साजिश के तहत फेक एनकाउंटर में मार गिराया था. बाद में ये केस सीबीआई को दे दी गई। जिसमें CBI के खुलासे ने पुरे देश में सनसनी मचा दी थी। CBI ने कोर्ट में दायर किये गए चार्जशीट में तब उत्तराखंड पुलिस के 17 पुलिसवालों को दोषी माना था। जिसे बाद में उत्तराखंड की निचली अदालत ने CBI की जांच को सही मानते हुए इन सभी 17 पुलिसवालों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब देश ऐसा में पहली बार हुआ था जब एक साथ अदालत ने 17 पुलिसवालों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालाँकि तब निचली अदालत में पीड़ित पक्ष के वकील ने इन सभी दोषियों के लिए फांसी की सजा की दलील कोर्ट में दी थी .