
चंडीगढ़, 11 अगस्त 2024 – हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी जनहितैषी घोषणाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य में भाजपा को तीसरी बार सत्ता में लाने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। उन्होंने किसानों, कर्मचारियों और महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है, जो उनके समर्पण और नेतृत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। लेकिन इन घोषणाओं का प्रभावी ढंग से प्रचार और प्रसार न होने से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या मुख्यमंत्री की मेहनत को सही तरीके से जनता तक पहुंचाया जा रहा है।
# मीडिया सचिव प्रवीण अत्री की भूमिका पर सवाल
मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीण अत्री, जिन्हें मीडिया के साथ सरकार की छवि को सुदृढ़ करने का काम सौंपा गया है, इस कार्य में असफल होते नजर आ रहे हैं। पूर्व इनेलो सदस्य प्रवीण अत्री, जिन्होंने भाजपा में शामिल होकर मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव का पद संभाला, के बारे में यह आरोप है कि वे मीडिया को ठीक से संभालने में नाकाम रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रवीण अत्री ने पहले तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में अपेक्षाकृत अच्छा काम किया था, लेकिन जैसे ही नायब सैनी मुख्यमंत्री बने, अत्री का काम करने का तरीका बदल गया। उन्होंने सीएम के साथ विशेष चर्चा के लिए मीडिया के चुनिंदा सदस्यों को बुलाने का सुझाव दिया, लेकिन इसमें उन पत्रकारों को प्राथमिकता दी गई जो उनके साथ अच्छे संबंध रखते हैं।
विशेष मीडिया चर्चा का विवाद
मुख्यमंत्री नायब सैनी के मीडिया से विशेष चर्चा के सुझाव में एक ही प्रकार के पत्रकारों की उपस्थिति और उनकी सकारात्मक रिपोर्टिंग पर सवाल उठ रहे हैं। यह आरोप है कि मीडिया सचिव ने केवल उन्हीं पत्रकारों को तवज्जो दी जो उनके कार्यालय में नियमित रूप से आते हैं और उनकी कार्यशैली की तारीफ करते हैं।
इस चयनात्मक व्यवहार के कारण कई वरिष्ठ और असल पत्रकार नाराज हैं, और इसे लेकर भाजपा के भीतर भी असंतोष बढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले मीडिया सचिव का यह रवैया भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
मीडिया सचिव की प्राथमिकताएँ और राजनीति
मीडिया सचिव पर यह भी आरोप है कि वे कुछ पत्रकारों को उनके अनुसार काम न करने पर धमकी देते हैं और विज्ञापन बंद करने की बात करते हैं। वहीं, खुद का मीडिया सचिव होने का फायदा उठाते हुए वे अपने पुराने फ्लैक्स लगाने के धंधे को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री के साथ अपनी नजदीकियों का उपयोग कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया सचिव को भाजपा की ओर से विज्ञापन वितरण का काम सौंपा गया था। इसके बाद से ही उनका व्यवहार बदल गया और उन्होंने अपने करीबी लोगों को ही फायदा पहुंचाने का काम किया। चुनाव परिणामों के बाद वे अपनी रणनीति में नाकाम साबित हुए और मनोहर लाल के दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनने के बाद भी वे उनसे अपनी नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करते रहे।
चुनावी भविष्य पर सवाल
चंडीगढ़ में मीडिया सचिव द्वारा दी गई सलाह पर मुख्यमंत्री ने मीडिया से विशेष चर्चा की शुरुआत की, लेकिन इसमें वही चेहरे दिखाई दिए जो उनके कार्यालय में नियमित आते हैं। इससे मीडिया के बड़े हिस्से में नाराजगी है और यह भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।
यह स्पष्ट है कि अगर इनेलो में रहते हुए प्रवीण अत्री ने अभय चौटाला को किनारे कर दिया था, तो वे भाजपा का भी भला नहीं कर सकते। उनकी मौजूदा कार्यशैली और मीडिया के साथ उनके संबंध चुनावों में भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं।
इसलिए, भाजपा को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी मीडिया रणनीति सही दिशा में जाए और सभी वर्गों में मुख्यमंत्री नायब सैनी की जनहितैषी घोषणाओं का सकारात्मक संदेश पहुंचे। अन्यथा, मीडिया सचिव की मौजूदा कार्यशैली पार्टी के लिए बड़े राजनीतिक संकट का कारण बन सकती है।