
भिवानी परिषद उप-प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित: सर्वसम्मति से गुप्त मतदान में 28 पार्षदों ने जताया विरोध
उप-प्रधान के चयन के लिए जल्द ही एक बैठक
हरियाणा, भिवानी। नगर परिषद भिवानी में उप-प्रधान उप चेयरमैन सत्येंद्र मोर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी 28 पार्षद उपस्थित थे, और सभी ने उप-प्रधान के खिलाफ वोट डाला। गुप्त मतदान के माध्यम से यह अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ, जिससे स्पष्ट हो गया कि उप-प्रधान का पद अब खतरे में है।
अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि
नगर परिषद के उप-प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पिछले कुछ समय से चर्चा में था। परिषद के कई सदस्यों ने उप-प्रधान की कार्यशैली और नेतृत्व के तरीके पर सवाल उठाए थे, जिससे यह प्रस्ताव लाने की जरूरत महसूस हुई।
- कारण: परिषद के सदस्यों ने उप-प्रधान पर पारदर्शिता की कमी और कुछ मामलों में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उप-प्रधान की कार्यशैली से नगर परिषद के कामकाज में रुकावटें आ रही थीं।
- प्रस्ताव की प्रक्रिया: परिषद के कई सदस्यों ने एकजुट होकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे बैठक में पारित करने के लिए गुप्त मतदान का तरीका अपनाया गया।
गुप्त मतदान और परिणाम
गुप्त मतदान के जरिए इस प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई, जिससे पार्षद बिना किसी दबाव के अपना मत व्यक्त कर सकें।
- मतदान का परिणाम: सभी 28 पार्षदों ने उप-प्रधान के खिलाफ वोट दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनका नेतृत्व अब परिषद में स्वीकार्य नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया।
- प्रभाव: इस परिणाम के बाद उप-प्रधान का पद छोड़ना तय हो गया है, और नगर परिषद में नए नेतृत्व के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।
आगे की कार्रवाई
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद, नगर परिषद को नए उप-प्रधान का चयन करना होगा। यह प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू हो सकती है।
- नए उप-प्रधान का चुनाव: परिषद के सदस्य नए उप-प्रधान के चयन के लिए जल्द ही एक बैठक करेंगे, जिसमें नए नेतृत्व को लेकर विचार किया जाएगा।
- प्रभाव: नए उप-प्रधान के चुनाव से नगर परिषद के कामकाज में सुधार की उम्मीद की जा रही है। नए नेतृत्व से पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ने की संभावना है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- परिषद के सदस्यों की प्रतिक्रिया: परिषद के सदस्यों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे नगर परिषद के बेहतर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
- स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया: स्थानीय निवासियों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। उनका मानना है कि यह बदलाव नगर परिषद के कामकाज को और अधिक पारदर्शी और जनहितैषी बनाएगा।
निष्कर्ष
नगर परिषद के उप-प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पारित होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। गुप्त मतदान के जरिए सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ, जो इस बात का संकेत है कि परिषद में नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अब सभी की नजरें नए उप-प्रधान के चुनाव पर टिकी हैं, जिससे नगर परिषद के भविष्य की दिशा तय होगी।