
भारतीय जनता पार्टी ने 25 सीटें हासिल कीं
जम्मू-कश्मीर ।
जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति में हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, विशेषकर परिसीमन के बाद। इस लेख में हम जानेंगे कि जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव कब हुए थे, किसकी सरकार बनी थी, और परिसीमन के बाद क्या प्रमुख बदलाव हुए हैं।
आखिरी विधानसभा चुनाव: 2014
जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में आयोजित किए गए थे। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच मुख्य मुकाबला था।
चुनाव परिणाम और सरकार:
- पीडीपी: पीडीपी ने 28 सीटें जीतीं और प्रमुख पार्टी के रूप में उभरी।
- भा.ज.पा.: भारतीय जनता पार्टी ने 25 सीटें हासिल कीं।
इन चुनावों के परिणामस्वरूप गठबंधन सरकार का गठन हुआ। महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
परिसीमन के बाद प्रमुख बदलाव
1. परिसीमन की प्रक्रिया:
2020-21 के दौरान जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग ने विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को नई जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर समायोजित किया। यह प्रक्रिया जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के बीच विधानसभा सीटों की संख्या को बदलने के उद्देश्य से की गई थी।
2. विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव:
- जम्मू: परिसीमन के बाद जम्मू क्षेत्र के लिए विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 43 हो गई।
- कश्मीर: कश्मीर क्षेत्र के लिए विधानसभा सीटों की संख्या 47 निर्धारित की गई।
लद्दाख को अब एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में प्रबंधित किया जा रहा है, और इसमें विधानसभा की सीटें शामिल नहीं हैं।
3. संविधान में बदलाव:
अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इससे पहले, जम्मू-कश्मीर एक राज्य था और विशेष दर्जा प्राप्त था।
4. आगामी विधानसभा चुनाव:
परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में नई विधानसभा चुनावों की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, इन चुनावों की तारीखों की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। परिसीमन ने राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया है और भविष्य में विधानसभा चुनावों के परिणामों को भी बदल सकता है।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद से कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। परिसीमन ने विधानसभा सीटों की संख्या और क्षेत्रीय वितरण को पुनः व्यवस्थित किया है, और 2019 में संविधान में बदलाव ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक संरचना को नया रूप दिया है। इन बदलावों के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में चुनावी स्थिति अभी भी गतिशील है और आगामी चुनावों के परिणाम राजनीति में नई दिशा दे सकते हैं।