नई दिल्ली:20 aug – अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के आरक्षण से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आव्हान किया है। इस आंदोलन को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी समर्थन प्राप्त हो गया है, जिससे इस बंद की व्यापकता और प्रभाव में वृद्धि होने की उम्मीद है।
बसपा का समर्थन
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने इस भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा करते हुए पार्टी के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं और समर्थकों से इस विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दलित और आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों को खतरा है, और इस मुद्दे पर सरकार को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
दलित संगठनों की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इन संगठनों का कहना है कि यह फैसला दलित और आदिवासी समुदायों के हितों के खिलाफ है और उनके अधिकारों पर सीधा प्रहार है। इसलिए, इस बंद के माध्यम से वे सरकार और न्यायपालिका तक अपनी आवाज़ पहुंचाना चाहते हैं।
संभावित प्रभाव
बसपा के समर्थन के बाद इस भारत बंद की सफलता की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। इस आंदोलन के चलते देशभर में कई क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित हो सकता है। हालांकि, बंद के आयोजकों ने शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है, ताकि विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या अप्रिय घटना से बचा जा सके। विभिन्न राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था को भी सख्त किया जा रहा है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और उसके विरोध में हो रहे इस बंद ने राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है। कई दल इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की तैयारी कर रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह मामला देशभर में व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है।
आम जनता के लिए अपील
इस भारत बंद के दौरान आवश्यक सेवाओं के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए आम जनता से अपील की गई है कि वे संयम बरतें और अनावश्यक रूप से यात्रा से बचें। साथ ही, किसी भी प्रकार की अफवाहों या भ्रामक सूचनाओं से दूर रहने की भी सलाह दी गई है। सरकार और प्रशासन ने बंद के दौरान सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं।
**निष्कर्ष:**
21 अगस्त को होने वाले इस भारत बंद का प्रभाव देशभर में देखने को मिल सकता है। दलित संगठनों और बसपा के समर्थन से यह विरोध प्रदर्शन और भी व्यापक हो सकता है। इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।