
किसान नेता राकेश टिकैत ने भारत बंद पर दी प्रतिक्रिया: “ये देश आंदोलन से ही चलेगा”
भारत बंद के समर्थन में राकेश टिकैत का बयान
किसान नेता राकेश टिकैत, जो भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, ने भारत बंद के दौरान एक बार फिर से अपनी सशक्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस मौके पर कहा, “ये देश आंदोलन से ही चलेगा।” टिकैत का यह बयान किसानों की मांगों के प्रति सरकार की उदासीनता के विरोध में आया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक किसानों के अधिकारों की रक्षा नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन की अहमियत पर राकेश टिकैत की सोच
राकेश टिकैत का मानना है कि भारत में जितने भी बड़े बदलाव हुए हैं, वे सभी आंदोलनों के कारण ही संभव हो सके हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता, विशेष रूप से किसान और मजदूर, जब तक एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद नहीं करेंगे, तब तक उनके अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकेगी। टिकैत के अनुसार, आंदोलन ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे जनता की मांगों को सरकार तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सकता है।
किसान आंदोलन के साथ टिकैत का जुड़ाव
राकेश टिकैत, जो किसान आंदोलन का एक महत्वपूर्ण चेहरा बन चुके हैं, ने पहले भी कई मौकों पर किसानों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। कृषि कानूनों के खिलाफ हुए लंबे आंदोलन में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा और वे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।
सरकार पर निशाना
टिकैत ने अपने बयान में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सरकार ने समय रहते किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो देश भर में और भी बड़े आंदोलन देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
आंदोलन का भविष्य
राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि किसान अपने हक की लड़ाई को कभी खत्म नहीं करेंगे। उनका मानना है कि देश का विकास तभी संभव है जब किसानों को उनका हक मिलेगा और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। टिकैत ने किसानों से अपील की कि वे एकजुट रहें और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहें।
निष्कर्ष
किसान नेता राकेश टिकैत के इस बयान से स्पष्ट है कि किसानों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका मानना है कि आंदोलन ही वह तरीका है जिससे किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच क्या समाधान निकलता है, लेकिन एक बात तय है कि टिकैत और उनके समर्थक अपने मुद्दों पर डटे रहेंगे।