
चुनाव 2024 के समीप आते ही भाजपा के भीतर उथल-पुथल और राजनीतिक संघर्ष तेज
नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के समीप आते ही भाजपा के भीतर उथल-पुथल और राजनीतिक संघर्ष तेज हो गया है। गुरुग्राम विधानसभा क्षेत्र में पंचायती उम्मीदवार नवीन गोयल ने भाजपा के उम्मीदवार मुकेश शर्मा को चुनावी मैदान में सीधी चुनौती दी है। यह टकराव भाजपा के भीतर चल रहे आंतरिक विवादों को उजागर करता है, खासकर जब दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के बड़े नेताओं के बीच टिकटों को लेकर संघर्ष गहरा गया है।
दक्षिणी हरियाणा में टिकट बंटवारे की जंग
दक्षिणी हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बीच टिकट वितरण को लेकर चल रही टकराव ने पार्टी की स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। खट्टर और इंद्रजीत के समर्थकों के बीच आपसी संघर्ष ने पार्टी के भीतर असंतोष और अराजकता पैदा कर दी है। इस संघर्ष का सीधा असर पार्टी की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ढांचे पर पड़ा है।
भाजपा के बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, जिससे पार्टी के अंदर स्थिति और भी खराब हो गई है। इन नेताओं ने या तो दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए हैं या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। इस पलायन ने भाजपा के चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित किया है और पार्टी को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा है।
महेंद्रगढ़ विधानसभा में विरोध
महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा के कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। कार्यकर्ता अपनी पार्टी की नीतियों और टिकट वितरण की प्रक्रिया से असंतुष्ट हैं। यह विरोध पार्टी के लिए एक और चुनौती का संकेत है, जो चुनावी मौसम के दौरान भाजपा की स्थिति को और भी कमजोर कर सकता है।
राजपूत और ब्राह्मण समाज का आरोप
हरियाणा में भाजपा की टिकट वितरण प्रक्रिया पर राजपूत और ब्राह्मण समाज ने भी सवाल उठाए हैं। राजपूत समाज को टिकट वितरण में नजरअंदाज किया गया है और ब्राह्मण समाज के नेताओं ने भी पार्टी के आचरण को लेकर असंतोष जताया है। यह सामाजिक असंतोष भाजपा की चुनावी रणनीति पर बुरा असर डाल सकता है।
राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेताओं को सक्रिय रूप से शामिल किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री हरियाणा में भाजपा के अभियान की निगरानी करेंगे, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरियाणा में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हरियाणा में प्रचार के लिए नियुक्त किए गए हैं। इन नेताओं की मौजूदगी से भाजपा उम्मीद कर रही है कि वे चुनावी माहौल को बदलने में सफल होंगे।
निर्दलीय उम्मीदवारों की उम्मीदें
भाजपा के अंदरूनी संकट और टिकट वितरण के विवाद ने निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अवसर पैदा कर दिया है। कई निर्दलीय उम्मीदवार अब भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं। इस प्रकार, हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने की संभावना है, जो भाजपा की चुनावी स्थिति को और भी चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
निष्कर्ष
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के भीतर चल रही आंतरिक राजनीति और टिकट वितरण के विवाद ने पार्टी को संकट में डाल दिया है। गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ में टिकट बंटवारे की जंग और पार्टी छोड़ने के मामलों ने भाजपा की चुनावी रणनीति को प्रभावित किया है। इन चुनौतियों के बीच, पार्टी को अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने और आगामी विधानसभा चुनावों में सफल होने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।