रामबिलास शर्मा, जो हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख नाम रहे हैं, लंबे समय से भाजपा के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे हैं। ऐसे वरिष्ठ नेता के लिए टिकट की घोषणा में हो रही देरी से उनकी नाराजगी और बेचैनी साफ झलकती है। हालांकि, भाजपा की ओर से अभी तक उनके नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी शर्मा जी ने अपने राजनीतिक अनुभव के बल पर यह साहसिक कदम उठाने का फैसला किया है।
सूत्रों के मुताबिक, रामबिलास शर्मा ने बुधवार सुबह बिना टिकट की घोषणा के ही नामांकन करने का निर्णय लिया है। यह कदम पार्टी के भीतर चल रही खींचतान और टिकट वितरण में हो रही देरी का स्पष्ट संकेत हो सकता है। इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि रामबिलास शर्मा को अपने समर्थकों और जनता के बीच अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए इस तरह का निर्णय लेना पड़ा है।भाजपा के भीतर टिकट वितरण को लेकर कई नेताओं में असंतोष की खबरें आ रही हैं, और रामबिलास शर्मा का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में भी धैर्य कम हो रहा है। टिकट की घोषणा में हो रही देरी से कई पुराने और समर्पित नेताओं में निराशा है, और शर्मा जी का यह कदम शायद उसी नाराजगी की अभिव्यक्ति हो।
रामबिलास शर्मा का यह निर्णय भाजपा के लिए एक चुनौती हो सकता है। अगर पार्टी ने समय रहते उनके नाम की घोषणा नहीं की, तो इससे पार्टी के भीतर और बाहरी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। शर्मा जी का हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में खासा प्रभाव है, और उनके इस कदम से आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए कुछ चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।