

भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरे और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी का आज दिल्ली के एम्स (AIIMS) अस्पताल में निधन हो गया। सीताराम येचुरी लंबे समय से अस्वस्थ थे और उन्हें कुछ दिनों पहले एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से भारतीय राजनीति को एक बड़ा झटका लगा है, खासकर वामपंथी दलों के लिए यह एक बड़ी क्षति है।
सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति के एक प्रमुख नेता रहे हैं। वे सीपीएम के महासचिव के रूप में लंबे समय तक पार्टी का नेतृत्व कर चुके थे। उनका राजनीतिक करियर छात्र राजनीति से शुरू हुआ था, जब वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ के नेता बने। इसके बाद वे सीपीएम के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति में उभरे और देशभर में वामपंथी विचारधारा के प्रमुख प्रतिनिधि बने।
येचुरी ने न केवल वामपंथी राजनीति को मजबूती दी, बल्कि भारतीय राजनीति में वैचारिक बहस और जनता के मुद्दों को मुखर रूप से उठाने का काम भी किया। उन्होंने मजदूरों, किसानों, और गरीबों के हक के लिए हमेशा आवाज उठाई। उनके नेतृत्व में सीपीएम ने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया, और वे संसद में भी अपनी प्रभावी वक्तृत्व शैली और तार्किक बहसों के लिए जाने जाते थे।
सीताराम येचुरी के निधन की खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और समाज के विभिन्न वर्गों से उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, और अन्य प्रमुख नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और उन्हें एक महान नेता के रूप में याद किया है जिन्होंने हमेशा जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी।
उनके निधन से वामपंथी राजनीति में एक बड़ी शून्यता आ गई है, जिसे भरना मुश्किल होगा। सीताराम येचुरी का नाम हमेशा भारतीय राजनीति में उनके योगदान और विचारधारा के लिए याद किया जाएगा।
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