सुप्रीम कोर्ट आज मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) से जुड़ी याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई करने जा रहा है। यह सुनवाई उन याचिकाओं पर आधारित है, जिनमें PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जाने वाली जांच, गिरफ्तारियों, और अभियोजन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाओं में इस कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता और इसके तहत एजेंसियों को मिले अधिकारों पर आपत्ति जताई गई है।
प्रमुख मुद्दे जिन पर सुनवाई होगी:
- गिरफ्तारी और जमानत: याचिकाकर्ताओं ने PMLA के तहत गिरफ्तारी और जमानत की शर्तों को चुनौती दी है। उनका कहना है कि इस कानून में जमानत हासिल करना बहुत कठिन है, जो संविधान के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- संपत्ति की जब्ती: कई याचिकाओं में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा बिना किसी ठोस सबूत के संपत्तियों की जब्ती और कुर्की पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस प्रक्रिया में न्यायिक समीक्षा की कमी है, जिससे मनमानी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाती है।
- गोपनीयता और अधिकारों का हनन: याचिकाओं में यह भी तर्क दिया गया है कि PMLA के तहत जांच के दौरान आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, खासकर जब मामले की गोपनीयता का हवाला देकर जानकारी साझा नहीं की जाती।
- प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों का दुरुपयोग: कुछ याचिकाओं में ED की शक्तियों के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है, जिसमें एजेंसी पर राजनैतिक दबाव में कार्रवाई करने का आरोप है। याचिकाकर्ताओं ने इन शक्तियों के दायरे को सीमित करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली टिप्पणियां:
सुप्रीम कोर्ट पहले भी PMLA के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से पूछा था कि वह किन आधारों पर कार्रवाई करता है और क्या कानून के तहत न्यायिक संतुलन बनाए रखा जा रहा है।
आज की सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट PMLA के प्रावधानों में संशोधन के लिए कोई निर्देश जारी करेगा या नहीं। यह मामला देश के आर्थिक अपराधों की जांच और उनके प्रबंधन के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।