
सोनीपत, हरियाणा: हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना क्षेत्र में पुलिस ने एक नाकाबंदी के दौरान एक कार से 50 लाख रुपये की भारी नकदी बरामद की है। यह घटना तब सामने आई जब पुलिस ने आचार संहिता लागू होने के बाद चेकिंग अभियान तेज कर दिया। नियमानुसार, चुनावी आचार संहिता के दौरान कोई भी व्यक्ति बिना प्रमाण के ₹50,000 से अधिक की नकदी नहीं ले जा सकता।
कैश की बरामदगी और प्रारंभिक जांच
पुलिस ने गाड़ी की तलाशी के दौरान 500 रुपये के नोटों की 20 गड्डियां बरामद कीं, जिनमें से प्रत्येक गड्डी में 500 नोट थे। पकड़े गए इस कैश को तुरंत स्थानीय ट्रेजरी में जमा करवा दिया गया है। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिल रहे हैं कि इस नकदी का इस्तेमाल आगामी चुनावों में किया जाना था। फिलहाल मामले की गहराई से जांच आयकर विभाग द्वारा की जा रही है।
आचार संहिता के तहत कार्रवाई
चुनावी आचार संहिता लागू होते ही किसी भी प्रकार की बड़ी नकदी के लेन-देन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। चुनावी नियमों के तहत बिना उचित प्रमाण के नकदी ले जाने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। सोनीपत में यह पहली बार है जब आचार संहिता के दौरान इतनी बड़ी रकम पकड़ी गई है, जिससे इस मामले की गंभीरता और भी बढ़ गई है।
भाजपा विधायक के करीबी पर शक
पुलिस द्वारा जब्त किए गए पैसों से जुड़े जिन युवकों को हिरासत में लिया गया है, वे हरियाणा के जींद जिले के निवासी बताए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, इनका संबंध एक भाजपा विधायक से है, जिसके चलते यह मामला राजनीतिक रूप से भी काफी चर्चा में आ गया है। हालाँकि, अभी तक पुलिस या प्रशासन की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
मामले की जांच जारी
आयकर विभाग और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इतनी बड़ी राशि कहाँ से आई और इसका वास्तविक उपयोग क्या था। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या इसका कोई संबंध आगामी चुनावों से है।
आगे की कार्रवाई इस जांच के परिणाम पर निर्भर करेगी। इस घटना ने चुनावी माहौल में नकदी के अवैध इस्तेमाल को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को और भी बढ़ा दिया है।
चुनावी माहौल में ऐसे मामलों पर सख्त निगरानी रखने की आवश्यकता है
यह मामला चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का गंभीर मामला है और इसकी जांच पूरी होते ही आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। चुनावी माहौल में ऐसे मामलों पर सख्त निगरानी रखने की आवश्यकता है ताकि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।