प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही QUAD (Quadrilateral Security Dialogue) सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेश यात्रा करेंगे। यह सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। QUAD के सदस्य देश—अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत— इस मंच पर मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए रणनीति बनाएंगे। सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, क्षेत्रीय सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का वार्षिक सत्र होगा, जहाँ वे भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगे। उनके संबोधन में विश्व के सामने मौजूदा चुनौतियाँ जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, खाद्य सुरक्षा, और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रधानमंत्री अपने भाषण में “विकासशील देशों की आवाज़” के रूप में भारत की भूमिका को भी रेखांकित करेंगे और वैश्विक मंच पर एक मजबूत भारत की छवि पेश करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी भारतीय समुदाय के बीच भी एक विशेष कार्यक्रम में भाग लेंगे, जहाँ वे विदेशों में बसे भारतीयों को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम भारतीय प्रवासियों के साथ भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करने और भारत की विदेश नीति में उनके योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। पीएम मोदी अपने संबोधन में भारत की हालिया प्रगति, आर्थिक विकास, और सांस्कृतिक धरोहर पर जोर देते हुए प्रवासी भारतीयों को गर्व महसूस कराने का प्रयास करेंगे।
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के कूटनीतिक संबंधों को और सुदृढ़ करना, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करना, और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक रणनीतियों पर काम करना है। प्रधानमंत्री का UNGA में संबोधन और QUAD में उनकी सक्रिय भागीदारी, भारत के वैश्विक नेतृत्व के दावों को और भी मजबूत करने में मददगार साबित होगी।
इसके साथ ही भारतीय समुदाय के साथ उनके संवाद से भारत की सांस्कृतिक पहचान और प्रवासी भारतीयों के साथ संबंध और भी गहरे होंगे। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की कई द्विपक्षीय बैठकों की भी संभावना है, जहाँ वे अन्य देशों के प्रमुख नेताओं के साथ भारत के व्यापार और कूटनीति को लेकर वार्ता करेंगे।
इस यात्रा से भारत के वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक महत्व को और अधिक बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका और मजबूत हो सकेगी।