बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीणों का भाजपा के प्रति गुस्सा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र में विकास की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव ग्रामीणों के बीच असंतोष का बड़ा कारण बन रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि भाजपा के प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास की अनदेखी की है और अब वे भाजपा को हराने का मन बना चुके हैं।
ग्रामीणों का भाजपा पर आरोप:
बादशाहपुर के निवासी अनिल कुमार ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “अबकी बार भाजपा को बादशाहपुर से साफ कर देंगे, उन्हें वोट नहीं देंगे।” उन्होंने बताया कि ग्रामीण भाजपा से इस कदर नाराज हैं कि अब उनकी नज़रे कांग्रेस के प्रत्याशी वर्धन यादव पर टिक गई हैं। हालाँकि ग्रामीणों का कहना है कि कांग्रेस ने भी बीते वर्षों में खास कुछ नहीं किया है, लेकिन भाजपा से मिल रही उपेक्षा के कारण इस बार ग्रामीण कांग्रेस की तरफ झुकते नजर आ रहे हैं।
भाजपा के प्रत्याशी राव नरवीर सिंह पर सवाल:
भाजपा के प्रत्याशी राव नरवीर सिंह 2014 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीतकर हरियाणा सरकार में मंत्री बने थे। लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दी थी। इस बार भी वे क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन विकास कार्यों की कमी के लिए वे अधिकारियों को दोषी ठहरा रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि राव नरवीर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए, जिससे उनके प्रति निराशा बढ़ गई है।
ग्रामीणों का गुस्सा और भाजपा को संभावित नुकसान:
बादशाहपुर के ग्रामीणों की नाराजगी से भाजपा को विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की उम्मीद थी, लेकिन इन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। इस बार वे अपने वोट के जरिए भाजपा को सबक सिखाने का मन बना चुके हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ हो रहे इस गुस्से से पार्टी को चुनावी नुकसान झेलना पड़ सकता है। भाजपा के लिए यह चुनौती इस चुनाव में और बड़ी हो सकती है, क्योंकि नाराज ग्रामीण खुलकर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं।
कांग्रेस के लिए सुनहरा मौका:
कांग्रेस के प्रत्याशी वर्धन यादव के लिए यह चुनाव एक सुनहरा मौका हो सकता है। भाजपा से नाराज ग्रामीण अब कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं, और वर्धन यादव को इसका सीधा फायदा मिल सकता है। हालांकि, कांग्रेस को ग्रामीणों की अपेक्षाओं को समझते हुए अपने चुनाव प्रचार को मजबूती से चलाना होगा, ताकि ग्रामीणों का विश्वास जीता जा सके।
बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में यह चुनावी मुकाबला अब और दिलचस्प होता जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हालात बने हुए हैं, और ग्रामीण वोटरों का फैसला चुनावी नतीजों को बदल सकता है।
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