
स्कूल और कॉलेजों के मैदानों का उपयोग करने की चुनाव आयोग से अनुमति नहीं
नई दिल्ली, सितंबर – आगामी चुनावों के मद्देनज़र हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पंकज अग्रवाल ने महत्वपूर्ण घोषणा की है कि चुनाव रैलियों के लिए अब स्कूलों और कॉलेजों के खेल मैदानों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस निर्णय के पीछे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का निषेध आदेश है, जिसके तहत शैक्षणिक संस्थानों के खेल मैदानों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल प्रतिबंधित किया गया है।
राजनैतिक पार्टियों के लिए सख्त निर्देश
राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को इस बार के चुनावों में स्कूल और कॉलेजों के मैदानों का उपयोग करने की चुनाव आयोग से अनुमति नहीं दी जाएगी। इस निर्देश का मकसद यह है कि शैक्षणिक संस्थानों की गतिविधियों और छात्रों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए और चुनावी प्रचार व्यवस्थित रूप से किया जा सके।
धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित
श्री पंकज अग्रवाल ने चुनाव प्रचार में धर्म, जाति और समुदाय आधारित भावनाओं को भड़काने पर भी सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी धार्मिक स्थल, जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे का उपयोग प्रचार के लिए नहीं किया जा सकेगा। न तो इन स्थानों पर भाषण दिए जाएंगे और न ही चुनावी पोस्टर, बैनर या संगीत का उपयोग किया जा सकेगा। यह निर्णय धार्मिक स्थलों की पवित्रता और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
रक्षा कर्मियों की छवि का चुनाव प्रचार में उपयोग पर रोक
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रचार में देश की रक्षा से जुड़े कर्मियों के फोटो या उनके कार्यक्रमों की छवियों का इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यह निर्देश सेना और अन्य रक्षा संस्थानों की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए जारी किया गया है, जिससे राजनैतिक पार्टियों द्वारा उनका किसी प्रकार का चुनावी लाभ न उठाया जा सके।
चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन अनिवार्य
पंकज अग्रवाल ने आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत कड़े निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी उम्मीदवार और उनके स्टार प्रचारकों को आचार संहिता का सख्ती से पालन करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार का उल्लंघन न हो और यदि कोई उल्लंघन होता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव आचार संहिता उल्लंघन पर सख्त निगरानी
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर निगरानी रखने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है। उल्लंघन के मामलों के लिए एक रजिस्टर तैयार किया जाएगा, जिसमें सभी घटनाओं का विवरण दर्ज होगा। इसमें उल्लंघन की तिथि, कार्रवाई और निर्वाचन आयोग के आदेशों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह रजिस्टर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा, और मीडिया तथा अन्य इच्छुक पक्ष इसे देख सकते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (अ) का पालन जरूरी
अग्रवाल ने यह भी कहा कि भारत के नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान यह अधिकार आचार संहिता के दायरे में होना चाहिए। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को सुनिश्चित करना होगा कि वे चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और गरिमा बनाए रखें।
केवल शिक्षा और धर्म की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करेगा
चुनाव आयोग के नए निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आगामी चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित हों। स्कूलों, कॉलेजों और धार्मिक स्थलों का उपयोग चुनावी रैलियों के लिए न करने का फैसला न केवल शिक्षा और धर्म की पवित्रता को बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया को भी साफ-सुथरा बनाए रखेगा।