
चुनाव परिणामों ने कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर: हरियाणा के चुनाव परिणामों ने कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। पहले तो वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कोठी पर खुशियां मना रहे थे, यह मानते हुए कि कांग्रेस को 60 से 65 सीटें मिलेंगी। लेकिन जब परिणाम घोषित हुए और भाजपा ने तीसरी बार सरकार बनाई, तो उनकी नींद उड़ गई।
कुछ अधिकारी छुट्टी लेने की सोच रहे हैं, क्योंकि उनकी पसंदीदा सरकार नहीं आई।
सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारी छुट्टी लेने की सोच रहे हैं, क्योंकि उनकी पसंदीदा सरकार नहीं आई। वहीं, अन्य अधिकारियों ने उन पर तंज करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन अधिकारियों को किसी एक पार्टी के प्रति नहीं झुकना चाहिए।
कुछ अधिकारी राजनीतिक दलों के प्रति झुकाव रखते हैं
हरियाणा के इतिहास पर गौर करें तो कई अधिकारी रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। कुछ रिटायर आईपीएस अधिकारियों ने डीजीपी रैंक के बाद चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई, और कुछ ने कांग्रेस पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ा। इस प्रकार, यह साफ है कि कुछ अधिकारी राजनीतिक दलों के प्रति झुकाव रखते हैं, जिससे उनकी भूमिका और निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
कुछ जीत गए और कुछ हार गए।
भाजपा में भी कई अधिकारी चुनावी प्रक्रिया में शामिल हुए, जिनमें से कुछ जीत गए और कुछ हार गए। यह सब घटनाक्रम यह दर्शाता है कि सत्ता में रहते हुए अधिकारियों का पार्टी से जुड़ना एक बड़ा मुद्दा है। चुनाव लड़ने के बाद भी उनकी सरकारी सेवा और राजनीतिक गतिविधियां समाज के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती हैं।
यह घटनाक्रम हमें यह सोचने पर मजबूर करता है
यह घटनाक्रम हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या अधिकारी को अपनी भूमिका में निष्पक्ष रहना चाहिए या राजनीतिक पक्षधरता के साथ काम करना उनकी भूमिका को कमजोर करता है। यह मुद्दा न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश में सरकारी सेवाओं की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण है।