
नागरिकों के लिए जीवनयापन बेहद कठिन हो गया है।
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है, जिससे यहां के नागरिकों के लिए जीवनयापन बेहद कठिन हो गया है।
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का कहर
दिल्ली ही नहीं, बल्कि इससे सटे हरियाणा, उत्तर प्रदेश के जिलों जैसे गुरुग्राम, गाजियाबाद और नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। खासकर दिवाली के त्योहार के बाद से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। हर परिवार दिल्ली छोड़ने की सोच रहा है, लेकिन आर्थिक और व्यावहारिक मजबूरियों के कारण लोग यहां रहने पर विवश हैं।
स्वास्थ्य पर बुरा असर
वायु प्रदूषण के कारण खांसी, अस्थमा और फेफड़ों से संबंधित रोगों में भारी वृद्धि हो रही है। लोग खासकर बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो, प्रदूषण के इस स्तर पर सांस लेना किसी धीमी मौत से कम नहीं है। लोग अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और अस्थमा के मरीज घर में ही बंद रहने को मजबूर हो गए हैं।
सरकार और प्रशासन की नाकामी
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि स्थिति सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। सरकार द्वारा जारी किए गए उपाय जैसे निर्माण कार्यों पर रोक, वाहनों के उपयोग को सीमित करना, और औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करना, केवल कागजों तक सीमित हैं। जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
प्रदूषण के मुख्य कारण
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
- पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं दिल्ली की हवा को जहरीला बना देता है।
- वाहनों का धुआं: दिल्ली की सड़कों पर भारी संख्या में वाहन चलते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता है।
- निर्माण कार्य: दिल्ली में चल रहे लगातार निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल भी प्रदूषण का मुख्य कारण है।
- औद्योगिक प्रदूषण: आसपास के इलाकों में स्थित कारखाने और उद्योग भी प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।
धुंध और वायु गुणवत्ता का गिरता स्तर
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। अक्षरधाम में AQI 334 तक पहुंच गया है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। वहीं, आईटीओ का AQI 226 और इंडिया गेट का AQI 251 तक पहुंच गया है, जिसे “खराब” श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में प्रदूषण के और बढ़ने की संभावना है।
प्रदूषण के इस गंभीर संकट से निपटने के लिए
प्रदूषण के इस गंभीर संकट से निपटने के लिए जरूरी है कि सरकार और प्रशासन ठोस कदम उठाए। विशेषज्ञों ने नागरिकों को मास्क पहनने और बाहर कम से कम जाने की सलाह दी है। इसके अलावा, घर के अंदर वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करने पर जोर दिया जा रहा है।
सरकार और नागरिक दोनों के लिए एक चेतावनी है।
दिल्ली में प्रदूषण की यह गंभीर समस्या सरकार और नागरिक दोनों के लिए एक चेतावनी है। अगर जल्द ही इसके समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह संकट और गंभीर हो सकता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए दिल्ली में जीवन और भी मुश्किल हो जाएगा।