पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन के लिए बीजेपी नेता बबीता फोगाट पर उकसाने का आरोप लगाया।
चंडीगढ़ : हरियाणा की प्रसिद्ध रेसलर साक्षी मलिक की हाल ही में लॉन्च की गई आत्मकथा विटनेस के कारण खेल जगत और राजनीति में खलबली मच गई है। साक्षी मलिक ने अपनी किताब में भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन के लिए बीजेपी नेता बबीता फोगाट पर उकसाने का आरोप लगाया। साक्षी का कहना है कि बबीता फोगाट ने उन्हें इस आंदोलन की अनुमति दिलाने में मदद की, ताकि बृजभूषण को हटाकर वह खुद WFI की अध्यक्ष बन सकें।
बबीता फोगाट का तीखा पलटवार
ताकि बृजभूषण को हटाकर वह खुद WFI की अध्यक्ष बन सकें।
साक्षी मलिक के इन आरोपों का जवाब देते हुए बबीता फोगाट ने सोशल मीडिया पर कड़ा पलटवार किया। उन्होंने लिखा, “खुद के किरदार से जगमगाओ, उधार की रोशनी कब तक चलेगी। किसी को विधानसभा मिला, किसी को पद मिला, दीदी तुमको कुछ न मिला, हम समझ सकते हैं तुम्हारा दर्द। किताब बेचने के चक्कर में अपना ईमान बेच दिया।”
बबीता का यह बयान न सिर्फ साक्षी मलिक के खिलाफ था, बल्कि इसमें विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया जैसे पहलवानों की ओर भी इशारा था। विनेश फोगाट हाल ही में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुईं और जुलाना सीट से विधायक बन गईं। वहीं, बजरंग पूनिया को कांग्रेस ने ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का वाइस चेयरमैन बनाया है। इन दोनों पहलवानों के राजनीति में प्रवेश ने खेल और राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
साक्षी मलिक ने दी सफाई
कुछ ऐसी बातें भी कही जा रही हैं जो किताब में हैं ही नहीं।”
विवाद बढ़ने के बाद, साक्षी मलिक ने अपनी किताब को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, “किताब में जो बातें लिखी गई हैं, उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। मेरे द्वारा लिखी गई बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, और कुछ ऐसी बातें भी कही जा रही हैं जो किताब में हैं ही नहीं।”
साक्षी मलिक का कहना है कि उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपनी जिंदगी के संघर्षों और सच्चाई को उजागर किया है। उन्होंने किसी का अपमान करने का उद्देश्य नहीं रखा, बल्कि उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है, ताकि लोग उनकी कहानी से प्रेरणा ले सकें।
राजनीतिक रंग में रंगी कुश्ती जगत की लड़ाई
कुश्ती में बल्कि राजनीति में भी अपनी पहचान बना रहे हैं।
साक्षी मलिक, बबीता फोगाट, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया जैसे बड़े पहलवान न केवल कुश्ती में बल्कि राजनीति में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। विनेश फोगाट ने कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा और अब वह जुलाना से विधायक हैं। वहीं, बजरंग पूनिया को कांग्रेस में अहम भूमिका मिली है।
यह विवाद अब महज व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। यह हरियाणा की राजनीति और कुश्ती जगत में गहरी होती ध्रुवीकरण को भी उजागर करता है। बबीता फोगाट और साक्षी मलिक के बीच यह तनातनी बताती है कि खेल के साथ-साथ राजनीति में भी प्रभावशाली चेहरों के बीच शक्ति-संघर्ष चल रहा है।
क्या यह विवाद थमेगा?
साक्षी मलिक और बबीता फोगाट के बीच यह विवाद जल्द थमता नहीं दिख रहा। आत्मकथा के विवादित अंशों पर साक्षी की सफाई और बबीता के आक्रामक रुख के चलते मामला और गहराता जा रहा है। खेल जगत और राजनीति में साक्षी, बबीता, विनेश और बजरंग जैसे नामचीन पहलवानों की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। इस घटनाक्रम ने यह भी साफ कर दिया है कि खेल और राजनीति की राहें अब पहले से कहीं अधिक जुड़ी हुई हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस विवाद का अगला कदम क्या होता है और क्या साक्षी और बबीता के बीच सुलह हो सकेगी या यह मामला और अधिक तूल पकड़ेगा।