राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता और अधिकारियों के प्रति अनादर।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर: हरियाणा में अधिकारियों के काम करने के माहौल में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है। आधा दर्जन आईपीएस और आईएफएस अधिकारी अब हरियाणा में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं और केंद्र सरकार में स्थानांतरित होने की योजना बना रहे हैं। इसके पीछे कारण है राज्य की राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता और अधिकारियों के प्रति अनादर।
विधायकों की अनपढ़ता का प्रभाव
राज्य में हाल के दिनों में अनपढ़ और अयोग्य विधायकों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसे विधायक अधिकारियों से बात करने में असमर्थ हैं और अक्सर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं। अधिकारियों के लिए यह स्थिति असहनीय हो गई है, जिससे वे केंद्र सरकार में काम करने के लिए ज्यादा इच्छुक हो रहे हैं।
मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी का शिकार बने।
उदाहरण: उमाशंकर की कहानी
हरियाणा में एक प्रमुख आईएएस अधिकारी उमाशंकर हैं, जो कि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय में स्थानांतरित हो चुके हैं। उन्होंने राज्य में उत्कृष्ट कार्य किया, लेकिन भाजपा सरकार के मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी का शिकार बने। उनकी ईमानदारी और उच्च मानकों के कारण ही उन्हें राज्य छोड़ना पड़ा।
आगे की चुनौतियाँ
अधिकारियों का यह मोहभंग केवल उनके व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक बड़े सिस्टम के खराब प्रबंधन का संकेत है।
यदि काम करने वाले अधिकारी इसी प्रकार हरियाणा से मुंह मोड़ते रहे, तो राज्य में शासन और विकास को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा। अधिकारियों का यह मोहभंग केवल उनके व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक बड़े सिस्टम के खराब प्रबंधन का संकेत है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
अधिकारियों को भ्रष्ट और लुटेरा कहकर अपमानित किया जा रहा है
आजकल अधिकारियों को भ्रष्ट और लुटेरा कहकर अपमानित किया जा रहा है, जिससे कई अधिकारी खफा हैं। कुछ अधिकारियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ईमानदार अधिकारियों की स्थिति बेहद कठिन होती जा रही है। कई अधिकारी अब केंद्रीय स्थानांतरित होने की तैयारी में हैं।
राज्य का विकास और प्रशासन प्रभावित हो सकता है।
हरियाणा के सत्ताधारी नेताओं को इस स्थिति को गंभीरता से लेना होगा और अधिकारियों के साथ संवाद का एक सकारात्मक माहौल बनाना होगा। अन्यथा, राज्य का विकास और प्रशासन प्रभावित हो सकता है।
धिकारी ही शासन की रीढ़ हैं
इस बदलते परिदृश्य में हरियाणा को समझना होगा कि अधिकारी ही शासन की रीढ़ हैं, और उनकी भलाई से ही राज्य का विकास संभव है।