
देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटने लगी हैं।
नई दिल्ली , भारत और चीन के बीच चार दिन पहले हुए समझौते के बाद, शुक्रवार को दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटने लगी हैं। यह विकास दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अस्थायी टेंट और शेड हटाना शुरू कर दिया है।
न्यूज एजेंसी के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट पर दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, गाड़ियां और सैन्य उपकरण भी धीरे-धीरे पीछे ले जाए जा रहे हैं। यह प्रक्रिया सैनिकों की संख्या में कमी और तनाव को कम करने का प्रयास है।
संबंधों पर प्रभाव
- संवाद की आवश्यकता: यह समझौता दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच संवाद और बातचीत की जरूरत है। लगातार संवाद से भविष्य में संभावित विवादों को टाला जा सकता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता: सैनिकों की संख्या में कमी से पूर्वी लद्दाख और आस-पास के क्षेत्रों में स्थिरता बढ़ने की संभावना है। इससे स्थानीय समुदायों में भी सुरक्षा का अहसास होगा।
- अंतरराष्ट्रीय नजरिया: इस disengagement को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है, जो क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। शांति और स्थिरता से भारत के अन्य देशों के साथ संबंध भी बेहतर हो सकते हैं।
लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
हालांकि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। दोनों देशों को दीर्घकालिक समाधान के लिए आपसी बातचीत जारी रखने की आवश्यकता होगी।
तो वे सीमा विवाद को सुलझाने में सफल हो सकते हैं
भारत और चीन के बीच सैनिकों का पीछे हटना एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यदि दोनों देश संवाद को प्राथमिकता देते हैं, तो वे सीमा विवाद को सुलझाने में सफल हो सकते हैं और क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं।