
नई दिल्ली, 3 नवंबर – भारत, एक विविधता से भरा देश, अपनी विशाल जनसंख्या के लिए जाना जाता है। हाल ही में किए गए पूर्वानुमानों के अनुसार, 2025 में देश की जनसंख्या 146 करोड़ के आसपास पहुँचने की संभावना है। यह लेख इस जनसंख्या वृद्धि के कारणों, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों और आगामी राष्ट्रीय जनगणना के महत्व पर चर्चा करेगा।
जनसंख्या वृद्धि के कारण
- जनसांख्यिकीय लाभांश: भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा है, जो कार्यबल में शामिल हो रहा है। यह आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति ने जीवन प्रत्याशा को बढ़ाया है।
- शिक्षा में वृद्धि: शिक्षा के स्तर में सुधार और महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि ने जनसंख्या की स्थिरता में योगदान दिया है।
राष्ट्रीय जनगणना का महत्व
- योजना और नीति निर्धारण: राष्ट्रीय जनगणना, जो 2024 में शुरू होकर 2026 की शुरुआत में समाप्त होगी, सरकार को जनसंख्या के सही आंकड़े प्रदान करेगी। ये आंकड़े विकास योजनाओं और नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सामाजिक और आर्थिक बदलाव: जनगणना के आंकड़े न केवल जनसंख्या के आकार का अनुमान लगाते हैं, बल्कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के बारे में भी जानकारी प्रदान करते हैं। इससे सरकार को लक्षित योजनाएँ बनाने में मदद मिलती है।
जनसंख्या के संभावित प्रभाव
- आर्थिक विकास: बढ़ती जनसंख्या एक बड़े बाजार का निर्माण करती है, जो अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक होती है।
- संसाधनों पर दबाव: जनसंख्या वृद्धि से जल, बिजली, और खाद्य संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है। इसके समाधान के लिए प्रभावी नीति की आवश्यकता होगी।
- शहरीकरण: अधिक जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में आवास की मांग बढ़ाएगी, जिससे शहरीकरण की दर में वृद्धि हो सकती है।
जो देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आकार देने में मदद करेगी।
2025 तक भारत की जनसंख्या 146 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है, जो अनेक अवसरों और चुनौतियों के साथ आती है। आगामी राष्ट्रीय जनगणना इस परिवर्तनशील परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आकार देने में मदद करेगी। सही जानकारी और आंकड़ों के साथ, भारत एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है।