
साक्षात्कार : गुरुग्राम जिला के उपायुक्त निशांत कुमार यादव, भा.प्र.से. से विशेष बातचीत
गुरूग्राम। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम जिला के उपायुक्त निशांत कुमार यादव को चण्डीगढ़ (यूटी) में उपायुक्त पद पर स्थानांतरण हो गया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), नई दिल्ली से कैमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा में वर्ष 2013 बैच के अधिकारी निशांत कुमार यादव ने 23 वर्ष की आयु में अपने पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा उतीर्ण की थी। गुरुग्राम जिला में वर्ष 2022 में उपायुक्त के पद पर नियुक्त निशांत कुमार यादव को एक कर्मठ, मृदुभाषी और आम जनमानस के लिए सदैव उपलब्ध रहने वाले अधिकारी के रूप में याद किया जाएगा। निशांत कुमार यादव से उपायुक्त का पदभार छोडऩे से पूर्व विशेष बातचीत की।
सवाल : गुरुग्राम जिला में उपायुक्त के पद पर अपने अनुभव को किस प्रकार देखते हैं ?
जवाब : गुरुग्राम जिला में उपायुक्त के पद पर अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। चिंटेल पैराडिसो घटनाक्रम, जी-20 शिखर सम्मेलन, गुरुग्राम मैराथन, लोकसभा चुनाव में रिटॢनंग अधिकारी और विधानसभा चुनाव जिला निर्वाचन अधिकारी आदि से जुड़े कार्यों को लेकर कई नई बातें सीखने को मिली। चिंटेल पैराडिसो घटनाक्रम की बात करें तो उस दु:खद घटना के उपरांत सबसे बड़ी चुनौती होम बायर्स को भरोसा दिलाना था। स्ट्रक्चरल ऑडिट जैसे प्रयास के जरिए गुरुग्राम जिला में होम बायर्स में प्रशासन के प्रति विश्वास मजबूत हुआ। जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने शहर की उपस्थिति दर्ज करवाने की जिम्मेवारी का भी बखूबी निर्वहन किया। गुरुग्राम शहर के लिए मैराथन का एनुअल इवेंट स्थापित हुआ। लोकसभा और विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न करवाया गया।
सवाल : गुरुग्राम जिला में अर्बन और रूरल एरिया का प्रशासनिक अनुभव कैसा रहा ?
जवाब : गुरुग्राम की बात करें तो एक ग्लोबल सिटी की इमेज उभर कर आती है लेकिन जिला का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र भी है। पटौदी या सोहना एरिया की बात करें तो समय-समय पर ग्रामीण अंचल का लगातार दौरा किया। फसलों की गिरदावरी हो या ग्राम पंचायतों से जुड़े कार्य, गुरुग्राम जिला में बड़ी खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से ग्रामीण अंचल से जुड़ाव रहा। अर्बन एरिया में अलग तरह से विषय रहते हैं लेकिन दोनों के बीच परस्पर समन्वय रखते हुए प्रशासनिक कुशलता से सरकार की योजनाओं व कार्यक्रमों को धरातल तक पहुंचाने के कार्य को सफलतापूर्वक किया गया। मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहन देना, मंडियों में किसानों की फसल खरीद की तैयारियों से जुड़े कार्यों को पूरी जिम्मेवारी से किया गया।
सवाल : गुरुग्राम शहर की समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में किस प्रकार देखते हैं ?
जवाब : गुरुग्राम एक सघन जनसंख्या वाला शहर है। नागरिकों की सुविधाओं के लिए बहुत सी एजेंसियां कार्य करती है। सघन आबादी वाले शहर को देखते हुए अनेक बार सिविक एजेंसियों को भी चुनौती का सामना करना पड़ता है। एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर सदैव यहीं प्रयास रहा है कि लोगों को मूलभूत समस्याओं को लेकर परेशान न होना पड़े। बरसात के दौरान जलभराव की बात करें तो यह प्रशासन की ही सक्रियता थी कि जलभराव के चलते किसी सडक़ या अंडरपास को बंद नहीं करना पड़ा। जलनिकासी का कार्य तेज गति से किया गया। सडक़ों की बात करें तो भविष्य की जरुरतों के हिसाब से शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। द्वारका एक्स्प्रेस वे, मैट्रो एक्टेंशन, आरआरटीएस जैसी बड़ी परियोजनाओं को धरातल पर साकार करने की दिशा में अच्छा कार्य हुआ है।
सवाल : गुरुग्राम में नियुक्ति के दौरान चुनौतियां भी देखने को मिली होंगी ?
जवाब : प्रशासनिक कार्यों में अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी देखने को मिलती हैं। प्रशासनिक कार्यों में चुनौतियों से निपटने के लिए नियम भी होते हैं। प्रशासनिक अनुभव और नियमों के अनुसार ही इन चुनौतियों से निपटा जाता है। हालांकि अनेक अवसरों पर असामयिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, ऐसे में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन भी मिलता है और नियमानुसार कार्य करने से चुनौतियों से निपटना आसान रहता है।
सवाल : गुरुग्राम के अनुभव से चण्डीगढ़ में भी लाभ मिलेगा ?
जवाब : प्रशासनिक सेवा में निरंतर सीखने की प्रक्रिया जारी रहती है। गुरुग्राम व उससे पहले की पोस्टिंग का अनुभव सदैव याद रहेगा। गुुरुग्राम और चण्डीगढ़ की भले ही भौगोलिक दृष्टि से दूरी हो लेकिन प्रशासनिक कार्यों में समानता भी होती है। दोनों ही शहरों के कई विषय समान है लेकिन कई अलग भी होंगे। पर्यावरण की बात करें तो दोनों शहरों में अलग-अलग परिस्थितियां है लेकिन प्रशासनिक कार्य का अनुभव दोनों स्थानों पर समान रूप से काम आएगा।