
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद दोनों प्रमुख गठबंधनों में होगा सीएम पद को लेकर संघर्ष, महायुति और महाविकास आघाड़ी में दावेदारों की बढ़ेगी संख्या
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद राजनीतिक गलियारों में जो सबसे बड़ा सवाल उठेगा, वह मुख्यमंत्री पद को लेकर होगा। सत्तारूढ़ महायुति (भा.ज.पा.-शिवसेना) और विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट) के बीच इस पद को लेकर एक बार फिर खींचतान मच सकती है। चुनावी गठबंधनों में मतभेद, नेतृत्व की दावेदारी और सीटों के बंटवारे के मसले को लेकर राज्य की राजनीति में कई हलचलें आ सकती हैं।
मुख्यमंत्री पद पर खींचतान
पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री पद को लेकर राज्य में गहरा विवाद रहा है, जिससे महाराष्ट्र को तीन मुख्यमंत्री और दो बड़े राजनीतिक दलों—शिवसेना और एनसीपी—में टूट का सामना करना पड़ा। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव नतीजों के बाद दोनों प्रमुख गठबंधनों में फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए विवाद होगा।
महाविकास आघाड़ी में पहले ही जाति जनगणना और सावरकर के मुद्दे पर मतभेद
जहां महाविकास आघाड़ी में पहले ही जाति जनगणना और सावरकर के मुद्दे पर मतभेद हैं, वहीं महायुति के भीतर भी भाजपा और एनसीपी (अजीत गुट) के बीच कुछ असहमति देखी जा सकती है। ऐसे में दोनों गठबंधनों में सीएम पद के दावेदारों की संख्या और बढ़ सकती है।
महाविकास आघाड़ी में मतभेद
तीन दलों—शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस और एनसीपी—के बीच पहले ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर
महाविकास आघाड़ी में शामिल तीन दलों—शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस और एनसीपी—के बीच पहले ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद हैं। जाति जनगणना और सावरकर जैसे विवादित मुद्दों पर ये दल अलग-अलग सुर में बोलते रहे हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) जहां सावरकर के प्रति आदर दिखाने की पक्षधर है, वहीं कांग्रेस का रुख इस पर काफी अलग है, और उसने सावरकर के खिलाफ बयान भी दिए हैं। इससे शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ा है। इसके अलावा, हिंदुत्व से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी एमवीए के दलों के बीच मतभेद देखे गए हैं।
महाविकास आघाड़ी में सीएम पद का दावेदार कौन
महाविकास आघाड़ी में सीएम पद का दावेदार कौन होगा, यह सवाल भी महत्वपूर्ण होगा। उद्धव ठाकरे (शिवसेना), राहुल गांधी (कांग्रेस) और शरद पवार या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम (एनसीपी) सामने आ सकता है। लेकिन इन तीनों दलों के बीच आंतरिक विरोधाभास और नेतृत्व के प्रति विभिन्न दृष्टिकोण इस निर्णय को और भी जटिल बना सकते हैं।
महायुति में असहमति
एनसीपी (अजीत गुट) और भा.ज.पा. के बीच भी मतभेद हो सकते हैं,
महायुति में शामिल एनसीपी (अजीत गुट) और भा.ज.पा. के बीच भी मतभेद हो सकते हैं, खासकर भाजपा के प्रमुख नारे “बटेंगे तो कटेंगे” को लेकर। यह नारा चुनावी रणनीति का हिस्सा था, लेकिन एनसीपी के गुट को यह रास नहीं आया। साथ ही, एनसीपी और भाजपा के नेतृत्व में भी कुछ अंतर है, जिसे लेकर भविष्य में किसी भी समझौते की संभावना कम हो सकती है।
भा.ज.पा. महायुति के सबसे बड़े दल के तौर पर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर सकती है, जबकि एनसीपी अपने दावेदारों के साथ दबाव बना सकती है। इन मतभेदों को देखते हुए महायुति में सीएम पद को लेकर भी घमासान संभव है।
72 घंटे में सरकार गठन
चुनाव नतीजे आने के बाद, दोनों गठबंधनों के लिए 72 घंटे के अंदर सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यह समय इतना कम होगा कि दलों को अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए तात्कालिक कदम उठाने होंगे। इन 72 घंटों में अगर कोई गठबंधन अपने दल के साथ उचित समझौता नहीं कर पाता है, तो सरकार गठन में देरी हो सकती है या फिर नया गठबंधन भी सामने आ सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है
चुनाव परिणामों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है, जहां मुख्यमंत्री पद के लिए मचेगी खींचतान। महाविकास आघाड़ी और महायुति दोनों ही गठबंधन में शामिल दलों के बीच मतभेद और दावों की लंबी लिस्ट हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष के बीच कौन सी पार्टी मुख्यमंत्री बनने में सफल होती है और किसे अपनी निष्ठा बनाए रखने में कठिनाई होती है।