
गुरुग्राम, 15 नवंबर 2024 – गुरुग्राम के फरुखनगर स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में विविभा 2024 कार्यक्रम के तहत विजन फॉर विकसित भारत पर आयोजित एक महत्वपूर्ण आयोजन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ, और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने हिस्सा लिया। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल युवा आयाम द्वारा किया गया, जिसमें 1200 से अधिक शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। सभी शोधार्थियों ने विजन फॉर विकसित भारत की थीम पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में भारतीय इतिहास और संस्कृति की महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत का इतिहास एक समृद्ध और गौरवमयी इतिहास है, लेकिन 16वीं सदी के बाद हम रुक गए और वह गति खो दी।” उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के हर क्षेत्र में अग्रणी था, चाहे वह विज्ञान हो, कला हो या समाजिक संरचना, लेकिन किसी न किसी कारण से हम उस विकास की दिशा में रुक गए।
विकास और पर्यावरण के संतुलन पर बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा,
“हमारे देश में विभिन्न विचारों और प्रयोगों ने अपना प्रभाव पूरी दुनिया पर डाला। पहले जहां इन प्रयोगों ने समृद्धि और विकास लाया था, वहीं अब कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। विकास के साथ पर्यावरण की समस्याएं भी खड़ी हुई हैं। यह शास्त्रार्थ का विषय बन चुका है कि विकास करें या पर्यावरण की रक्षा करें। मेरा मानना है कि मनुष्य को दोनों को संतुलित रूप से आगे बढ़ाना पड़ेगा, तभी जीवन का संतुलन बन पाएगा।”
भारत के पुनर्निर्माण की आवश्यकता
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि आज विजन फॉर विकसित भारत जैसी थीम के माध्यम से यह समय है कि हम अपने पुराने विचारों और मूल्य को समझें और उन्हें आधुनिक संदर्भ में लागू करें। “भारत का पुनर्निर्माण केवल समृद्धि के माध्यम से नहीं, बल्कि एक सशक्त और आदर्श समाज के निर्माण के माध्यम से किया जा सकता है,” उन्होंने कहा।
विविभा 2024 के उद्देश्यों पर चर्चा
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत के विकास के लिए नए दृष्टिकोण और समाधान प्रदान करना था, जिसे 1200 शोधार्थियों ने गंभीरता से प्रस्तुत किया। उनके रिसर्च पेपर्स में भारत के सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय पहलुओं पर गहन विचार किया गया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि भारत का विकास न केवल आर्थिक पहलू पर निर्भर है, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान भी महत्वपूर्ण है।
इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने भी दिया योगदान
कार्यक्रम में इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के योगदान को प्रमुखता से रखा और बताया कि कैसे भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विश्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। उन्होंने बताया कि भारत ने अंतरिक्ष में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनसे यह सिद्ध हो गया है कि भारतीय वैज्ञानिक हर क्षेत्र में अग्रणी हो सकते हैं।
कैलाश सत्यार्थी का योगदान
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के अधिकारों और उनके विकास पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि एक विकसित भारत के निर्माण में बच्चों और उनके विकास के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बच्चों को सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान मिलना चाहिए, तभी समाज में वास्तविक बदलाव आएगा।
कार्यक्रम की थीम “विजन फॉर विकसित भारत”
यह कार्यक्रम विजन फॉर विकसित भारत की थीम पर आधारित था, जिसका उद्देश्य भारत को समृद्ध, सशक्त, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाना था। इस तीन दिवसीय आयोजन में शोधार्थियों ने भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं और विचारों पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।विविभा 2024 कार्यक्रम ने एक नई दिशा को आकार देने की कोशिश की है, जहां भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, विज्ञान और समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया। मोहन भागवत, एस. सोमनाथ और कैलाश सत्यार्थी जैसे दिग्गजों की उपस्थिति से कार्यक्रम को व्यापकता मिली, और यह समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।