केंद्र सरकार इस ओर ध्यान देने में विफल
नई दिल्ली, मणिपुर, 18 नवंबर: मणिपुर में लगातार बढ़ती हिंसा और असुरक्षा की स्थिति पर केंद्र सरकार की चुप्पी देशभर में चर्चा का विषय बन चुकी है। पिछले कई महीनों से मणिपुर में हो रही हिंसक घटनाएं लोगों के जीवन को संकट में डाल रही हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस ओर ध्यान देने में विफल रही है।
हिंसा की बढ़ती घटनाएं , हिंसा के चलते उग्र भीड़ ने चार विधायकों के घरों में आग
मणिपुर में हाल की हिंसा के चलते उग्र भीड़ ने चार विधायकों के घरों में आग लगा दी है, जिनमें भाजपा के एक मंत्री और तीन विधायक शामिल हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर भी हमले की कोशिश की गई, जिस पर सुरक्षा बलों ने समय पर प्रतिक्रिया दी और भीड़ को नियंत्रित किया। पिछले दिनों, राहत शिविर से लापता महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है।
सुरक्षा स्थिति , महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण
शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए, मणिपुर के सभी पांच जिलों में कर्फ्यू लागू किया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पुलिस ने हिंसा में शामिल 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान, कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां का इस्तेमाल किया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं , जनता अभी भी ठोस कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रही है।
केंद्र सरकार की अनदेखी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों मणिपुर जैसी गंभीर परिस्थिति पर केंद्र सरकार प्रतिक्रिया नहीं दे रही है। हालाँकि, गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर एक आपात बैठक बुलाई है, लेकिन जनता अभी भी ठोस कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रही है।
प्रदर्शन और असंतोष , आखिर क्यों मणिपुर जैसी गंभीर परिस्थिति पर केंद्र सरकार प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।
गुस्साई जनता की भीड़ ने मणिपुर में स्थिति को और गंभीर बना दिया है। सिर्फ विधायक ही नहीं, बल्कि चर्चों और अन्य भवनों को भी निशाना बनाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में भय का माहौल है, जिससे स्थानीय लोग पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं।
न केवल मणिपुर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है।
मणिपुर में हो रही घटनाओं और नागरिकों को हो रहे नुकसानों के मद्देनजर यह महत्त्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार शीघ्र और प्रभावी कदम उठाए। यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो यह न केवल मणिपुर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकती है। नागरिकों की सुरक्षा और उनकी मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए एक ठोस योजना की आवश्यकता है।
यह नैरेटराइटिंग मणिपुर के हालात और केंद्र सरकार के रवैये का विस्तृत अवलोकन प्रदान करती है। यदि आप किसी विशेष जानकारी या पहलू के बारे में और अधिक जानना चाहें, तो कृपया बताएं।