नई दिल्ली, 19 नवंबर: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण लोगों की सांसें थमने लगी हैं। राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 तक पहुँच चुका है, जो कि “खतरनाक” स्तर की गिनती में आता है। ऐसे में प्रदूषण का असर न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर, बल्कि मानसिक और शारीरिक विकास पर भी गंभीर हो सकता है।
वायु प्रदूषण के खतरे , अस्थमा, श्वसन रोग, दिल और फेफड़े की बीमारियों के मामले बढ़ने की आशंका
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, श्वसन रोग, दिल और फेफड़े की बीमारियों के मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हवा में मौजूद धूल, प्रदूषण और कार्बन के कण सीधे तौर पर मस्तिष्क, फेफड़ों, दिल, आंखों, किडनी और त्वचा पर असर डालते हैं। इसके साथ ही प्रदूषण के कारण शहरी और ग्रामीण इलाकों में वायरस और बैक्टीरिया फैलने का खतरा भी बढ़ सकता है।
(NPCCHH) ने इस प्रदूषण को एक “आपातकालीन स्थिति” करार दिया है
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) ने इस प्रदूषण को एक “आपातकालीन स्थिति” करार दिया है और सभी संबंधित विभागों को अलर्ट रहने को कहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति लोगों के लिए गंभीर हो सकती है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों के लिए जो पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।
स्थिति की गंभीरता, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को तैयारी रखने को कहा है,
दिल्ली-एनसीआर में AQI 500 तक पहुँच चुका है, और यह प्रदूषण का संकेत है कि हवा में मौजूद तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो गए हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को तैयारी रखने को कहा है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हो सकती है।
सिंधु-गंगा क्षेत्र में प्रदूषण की बढ़ोतरी, यह क्षेत्र भारत के प्रमुख जलवायु और पर्यावरणीय संकट क्षेत्रों में से एक है
एक और चिंताजनक तथ्य यह है कि सिंधु-गंगा क्षेत्र में पिछले 18 वर्षों में प्रदूषण का स्तर 72 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। यह क्षेत्र भारत के प्रमुख जलवायु और पर्यावरणीय संकट क्षेत्रों में से एक है, जहां प्रदूषण के कारण कृषि, जलवायु और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। इस क्षेत्र के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर चला गया है, जो कि बहुत खराब स्थिति को दर्शाता है।
क्या करें नागरिकों को? ,
बाहर जाने पर एन95 या उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल करें।
इस संकट के बीच नागरिकों को प्रदूषण से बचने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने की सलाह दी जा रही है:
- घर के अंदर रहें: जितना हो सके, बाहर न निकलें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को।
- मास्क का उपयोग करें: बाहर जाने पर एन95 या उच्च गुणवत्ता वाले मास्क का इस्तेमाल करें।
- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें: घर के अंदर हवा को शुद्ध रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
- स्वास्थ्य पर ध्यान दें: अस्थमा या श्वसन से संबंधित कोई समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अस्पतालों की तैयारियां, स्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को अलर्ट पर
दिल्ली और एनसीआर के सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को अलर्ट पर रखा गया है, ताकि प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए तुरंत उपचार प्रदान किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे सभी जरूरी चिकित्सा उपकरणों और दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखें, ताकि स्थिति से निपटने में कोई समस्या न आए।
प्रदूषण का असर लंबे समय तक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है,दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए इसे गंभीर स्वास्थ्य संकट के रूप में लिया जा रहा है। प्रदूषण का असर लंबे समय तक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है, और इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं। नागरिकों को इस समस्या से निपटने के लिए सर्तक रहने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों को भी इस संकट से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।