
या फिर कोई राजनीतिक खेल खेला जा रहा है।
गुरुग्राम, 21 नवंबर:
आज गुरुग्राम में सहकारिता विभाग हरियाणा द्वारा राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे और सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। हालांकि, एक बार फिर राज्य में यह चर्चा का विषय बन गया है कि हरियाणा में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय समारोहों से स्थानीय नेताओं, विशेष रूप से केंद्रीय मंत्रियों और कैबिनेट मंत्रियों को क्यों बाहर रखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद गुरुग्राम में आयोजित होने वाले इस सहकारिता विभाग के राज्य स्तरीय समारोह के मुख्य अतिथि हैं।
इस समारोह के निमंत्रण कार्ड में हरियाणा के केंद्रीय सहकारिता मंत्री कृष्णपाल गुर्जर (जो फरीदाबाद से सांसद हैं) और गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह (जो केंद्र में राज्य मंत्री हैं) का नाम नहीं है। इसके अलावा, गुरुग्राम जिले के विधानसभा क्षेत्र बादशाहपुर से विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह का नाम भी इस निमंत्रण कार्ड से गायब है।
यह मामला खासतौर पर चर्चा में है क्योंकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद गुरुग्राम में आयोजित होने वाले इस सहकारिता विभाग के राज्य स्तरीय समारोह के मुख्य अतिथि हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि इन वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को इस समारोह में क्यों नहीं बुलाया गया।
अधिकारियों की लापरवाही या राजनीतिक साजिश?
यह स्थिति एक बार फिर से राजनीतिक असहमति या अधिकारियों की लापरवाही का संकेत दे रही है। कुछ लोग इसे जानबूझकर किया गया कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे अधिकारियों की गलती के रूप में देख रहे हैं। इस मामले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब तीन-चार बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री और राज्य के कैबिनेट मंत्री की अनदेखी की जाती है, तो इसका क्या मतलब है? क्या यह किसी तरह की राजनीतिक साजिश है या अधिकारियों की अज्ञानता का परिणाम?
मनोहर लाल खट्टर के समय से राजनीतिक खटास की संभावना
यह घटना एक पैटर्न का हिस्सा प्रतीत होती है, जो पहले भी देखा गया है। जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर थे, तो गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह को भी बड़े समारोहों से बाहर रखा जाता था। तब इसे खट्टर और राव के बीच राजनीतिक खटास के रूप में देखा गया था। अब, जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हैं, तो इस समारोह से इन नेताओं को बाहर रखना और निमंत्रण कार्ड में उनके नाम का न होना, पुराने राजनीतिक दृष्टिकोण को उजागर करता है। यह स्थिति यह संकेत देती है कि सत्ता में बदलाव के बावजूद, कुछ राजनीतिक रिश्तों में खटास अभी भी जारी है।
इस घटना ने राज्य की राजनीतिक हलचलों को फिर से तूल दे दिया है, और यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हरियाणा में स्थानीय नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच सही समन्वय और सहयोग हो रहा है, या फिर कोई राजनीतिक खेल खेला जा रहा है।