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चंडीगढ़, 22 नवंबर – हरियाणा में डेंगू की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। प्रदेश भर में डेंगू और बुखार जैसी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, और घर-घर में मरीजों की बढ़ती संख्या ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है। सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवस्था न होने के कारण लोग निजी अस्पतालों का रुख करने पर मजबूर हो रहे हैं, लेकिन यहां भी इलाज की गुणवत्ता और कीमतों को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं।
गरीबों के लिए दवाइयों की कमी और अस्पतालों की लचर व्यवस्था
हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कई गरीब परिवारों को दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इससे राज्य सरकार के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर हो रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत योजना भी गरीबों के लिए काम नहीं आ रही, क्योंकि प्राइवेट अस्पताल इस योजना से जुड़ी सेवाओं का लाभ उठाने से इनकार कर रहे हैं।
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में, खासकर गुरुग्राम और फरीदाबाद में, हरियाणा के डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ी है, और इन अस्पतालों में भी भीड़ लगी हुई है। बावजूद इसके, राज्य में डेंगू मरीजों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। खासकर गुरुग्राम में सरकारी अस्पताल नाम के ही हैं, लेकिन वहां भी उचित व्यवस्थाएं नहीं हैं।
फरीदाबाद में स्थिति और भी बदतर
फरीदाबाद में सरकारी अस्पतालों की स्थिति और भी बदतर है। यहां पर अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है। डेंगू और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग अब सरकारी अस्पतालों की बजाय निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर से लोगों का विश्वास पूरी तरह से हिला रही है, हालांकि हरियाणा सरकार ने सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं।
दिल्ली के अस्पतालों में भीड़, हरियाणा सरकार पर असर नहीं
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद से आए मरीजों की भारी भीड़ लगी हुई है, लेकिन हरियाणा सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दवाइयों की भारी कमी और अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर समस्याओं को उजागर करता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थिति नाजुक
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की स्थिति और भी खराब है। वहां सरकारी अस्पताल नाममात्र के हैं, और सरकार द्वारा अस्पतालों के लिए किए गए करोड़ों खर्च के बावजूद वहां कोई विशेष व्यवस्था नहीं है।
आयुष्मान योजना का असफल होना
हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य गरीबों को सस्ते इलाज की सुविधा प्रदान करना था, लेकिन यहां इसका असर नगण्य है। निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत इलाज के लिए मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जाता। दिल्ली एनसीआर में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां अस्पताल मरीजों को केवल योजना के नाम पर बाहर ही निकाल देते हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा में डेंगू और अन्य बीमारियों के बढ़ते मामलों के बीच सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की कमी, दवाइयों की स्थिति, और आयुष्मान योजना की असफलता राज्य के स्वास्थ्य ढांचे पर सवाल उठा रही है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं चाहिए, लेकिन सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके कारण नागरिकों का सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर से विश्वास उठता जा रहा है।