नई दिल्ली, 24 नवंबर – जब परंपरागत व्यवसाय को डिजीटल प्लेटफार्म से जोड़ा जाता है, तो सफलता की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। यह बात भिवानी जिले के बड़वा गांव के निवासी ललित और उनके परिवार की कहानी से साबित होती है। ललित ने अपने परिवार के छह पीढ़ी पुराने जूती बनाने के पारंपरिक व्यवसाय को डिजीटल प्लेटफार्म से जोड़ा, और अब उनके पास विदेशों से भी ऑर्डर आने लगे हैं। उनकी कंपनी “एकता हैंडीक्राफ्ट” की स्टॉल भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2024 में हरियाणा पवेलियन में लग रही है, जो उनकी सफलता का प्रतीक है।
पारंपरिक व्यवसाय से डिजीटल प्लेटफार्म तक
ललित ने बताया कि उनके पूर्वजों का जूती बनाने का व्यवसाय कई पीढ़ियों से चला आ रहा है। उनके दादा भानाराम निर्वाण और पिता सत्यनारायण ने चमड़े से जूती बनाने का काम किया। ललित ने भी उसी व्यवसाय को आगे बढ़ाया, लेकिन उन्होंने इसे एक नया मोड़ दिया। स्नातक की पढ़ाई के बाद ललित ने कंप्यूटर से जूती के डिजाईन बनाना सीखा, जिससे उनके व्यवसाय को एक नया रूप मिला। अब वे ज्यादातर डिज़ाइन कंप्यूटर से तैयार करते हैं और उसे देखकर जूती बनाते हैं।
डिजीटल प्लेटफार्म से वैश्विक पहचान
ललित ने राज्य सरकार की स्वयं सहायता समूह योजना का लाभ उठाया और अपने व्यवसाय को बढ़ावा दिया। उनके पास कंप्यूटर की जानकारी होने के कारण उन्होंने डिजीटल प्लेटफार्म पर जूती के डिज़ाइन डालकर प्रचार करना शुरू किया। इसके बाद, श्रीलंका, दुबई, और सिंगापुर जैसे देशों से उन्हें हर महीने ऑर्डर मिलने लगे। वे 15 दिनों के अंदर इन देशों में जूती सप्लाई कर देते हैं। इसके अलावा, उनके पास ऑनलाइन ऑर्डर भी आ रहे हैं, जिनके जरिए उनका व्यवसाय और अधिक बढ़ रहा है।
चमड़े की जूतियों की बढ़ती मांग
ललित ने बताया कि बाजार में चमड़े की जूतियों की खास मांग है। विशेष रूप से नोकदार और जरी वाली जूतियां बहुत पंसद की जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला और अन्य मेलों में इन जूतियों की विशेष मांग देखी गई है।
चमड़े के अन्य उत्पादों में भी विस्तार
ललित के स्वयं सहायता समूह ने जूती के व्यवसाय के अलावा चमड़े के बैग, पर्स और लेदर ज्वैलरी बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। ऑनलाइन में उनके डिज़ाइन को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हालांकि, लेदर ज्वैलरी का काम अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसकी भी अच्छी संभावनाएं हैं।
हरियाणा पवेलियन में ललित की स्टॉल
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2024 में हरियाणा पवेलियन में ललित की स्टॉल ने ध्यान आकर्षित किया। उनके डिजीटल व्यवसाय को प्रदर्शित करती यह स्टॉल परंपरागत शिल्प और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही है। इसके अलावा, डॉ. भीमराव अंबेडकर स्वयं सहायता समूह की स्टॉल पर पंजाबी जूती, पलवल के बिजेंद्र सिंह की स्टॉल पर चमड़े के बेल्ट और जैकेट, फरीदाबाद की गरिमा की स्टॉल पर अच्छे उत्पादों की बिक्री हो रही है। करनाल के नाथीराम की स्टॉल पर बास्केट, बैग, कारपेट और मैट भी अच्छे पंसद किए जा रहे हैं।
नतीजा
ललित और उनके समूह की सफलता यह साबित करती है कि परंपरागत व्यवसाय को डिजीटल प्लेटफार्म से जोड़ने से न केवल व्यापार का दायरा बढ़ता है, बल्कि वह वैश्विक स्तर पर भी पहचान पा सकता है। राज्य सरकार की स्वयं सहायता समूह योजना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले जैसे मंचों के माध्यम से इस प्रकार के छोटे व्यवसायों को एक नई राह मिल रही है।
ललित का उदाहरण हर उस छोटे व्यवसायी के लिए प्रेरणा है, जो अपने पारंपरिक व्यापार को तकनीकी दृष्टि से सशक्त बनाकर उसे नए आयामों तक पहुंचाना चाहता है।