गुरुग्राम, 25 नवंबर 2024/ प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पंजीकृत कारीगरों का सत्यापन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कौशल रखने वाले पात्र कारीगरों को उचित लाभ देना है, जिससे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। जिला उपायुक्त (डीसी) अजय कुमार ने कहा कि इस योजना के माध्यम से कारीगरों और शिल्पकारों को ना केवल रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि वे अपने पारंपरिक कौशल का उपयोग कर आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। डीसी ने यह बात लघु सचिवालय स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कही।
डीसी अजय कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में अंत्योदय का उद्देश्य है, जिसके तहत छोटे कामगारों को रोजगार के अवसर मिलने के साथ-साथ उन्हें अपनी पारंपरिक कला और कौशल के जरिए आर्थिक मदद भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों का प्रयास होना चाहिए कि जिला में इस योजना का अधिक से अधिक लाभ पात्र कारीगरों तक पहुंचे।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि पंजीकरण और सत्यापन कार्य को तेजी से पूरा किया जाए, ताकि योजनाओं का लाभ योग्य लोगों तक पहुँच सके। इस अवसर पर एडीसी हितेश कुमार मीणा ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 ट्रेड में प्रशिक्षण देने के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है। योजना के तहत आरक्षित वर्ग के कारीगरों को प्रति दिन 500 रुपए की आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण के बाद 15,000 रुपए की किट भी प्रदान की जाएगी।
बैठक में अधिकारियों ने योजना के संबंध में जानकारी दी कि पीएमईजीपी, पीएमएफएमई और पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत जिला सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग केंद्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पंचायती राज, सीएससी, यूएलबी और एमएसएमई विभागों को अंतिम छोर के कारीगरों तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए आपस में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया गया।
डीसी ने कहा कि योजना का उद्देश्य सिर्फ कारीगरों को प्रशिक्षित करना नहीं है, बल्कि उन्हें एक मजबूत आर्थिक सहारा देना है, जिससे वे न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें, बल्कि समाज में भी अपनी एक अलग पहचान बना सकें।
समीक्षा बैठक में नगर निकाय, पंचायत विभाग, एमएसएमई और योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे।