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संभल 26 नवंबर, 2024 – उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। हिंसा में 150-200 लोगों की भीड़ ने नखासा चौराहे पर पुलिसकर्मियों पर हमला किया, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और इलाके में दहशत का माहौल बना दिया। इस मामले में सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क और सपा विधायक के बेटे सुहैल इकबाल के नाम सामने आए हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
हिंसा और पुलिस पर हमले के आरोप
एफआईआर के अनुसार, पुलिसकर्मियों को ईंट-पत्थर, लाठी-डंडों और देसी कट्टों से हमला किया गया। पुलिस के अधिकारियों को गोलियां लगी हैं, हालांकि किसी की मौत नहीं हुई। पुलिस के जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उनका इलाज अस्पतालों में चल रहा है। हिंसा में पुलिसकर्मियों की जान लेने की नीयत से हमले किए गए थे, जिससे इलाके में खलबली मच गई।
जिया उर रहमान बर्क और सुहैल इकबाल पर आरोप
हिंसा को भड़काया और सांप्रदायिक माहौल खराब किया।
एफआईआर में सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क को आरोपी नंबर एक और सपा विधायक के बेटे सुहैल इकबाल को आरोपी नंबर दो के रूप में नामित किया गया है। आरोप है कि बर्क ने राजनीतिक फायदा हासिल करने के लिए इस हिंसा को भड़काया और सांप्रदायिक माहौल खराब किया। बर्क पर यह भी आरोप है कि उसने मस्जिद के सर्वे की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए 22 नवंबर को प्रशासन की अनुमति के बिना जामा मस्जिद का दौरा किया था।
जामा मस्जिद का सर्वे
संभल के जामा मस्जिद का सर्वे 24 नवंबर को अदालत के आदेश पर किया जा रहा था। इस सर्वे के विरोध में 150-200 लोगों की भीड़ नखासा चौराहे पर जमा हो गई। पुलिस ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी और सर्वे की प्रक्रिया को रोकने के लिए हिंसक हो गई। इसके बाद स्थिति बिगड़ गई और हिंसा फैल गई।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां
पुलिस ने इस हिंसा में 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं। इसके अलावा, एक दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। पुलिस ने इस मामले में कई मुकदमे दर्ज किए हैं और आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस की निगरानी
संभल में स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और पुलिस पूरी तरह से इस मामले पर निगरानी बनाए हुए हैं। पुलिस ने किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को संभल जाने की अनुमति नहीं दी है, क्योंकि प्रशासन को डर है कि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
मुस्लिम नेताओं की प्रतिक्रिया
इस हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने यूपी सरकार और पुलिस को दोषी ठहराया है। ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता सरकार पर निशाना साधते हुए लोकसभा में इस मुद्दे को उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि किसी राजनीतिक दल का नेता संभल जाता है, तो इससे और भी बड़ी घटना घट सकती है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस की कार्रवाई अब भी जारी है, और आरोपियों की तलाश के लिए विभिन्न इलाकों में छापेमारी की जा रही है। यह स्पष्ट किया गया है कि पुलिस इस हिंसा के आरोपियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी और स्थिति को काबू में करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
संभल में हुई इस हिंसा ने पूरे जिले में तनाव का माहौल बना दिया था, और प्रशासन ने स्थिति को काबू करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिस और प्रशासन अब यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं फिर से न हों।
संभल हिंसा पर पूरी जानकारी के लिए देखें न्यू इंडिया न्यूज नेटवर्क:
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। हिंसा के बाद, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है, और अब तक कई गिरफ्तारी हो चुकी है। इस पूरे घटनाक्रम की पूरी जानकारी, ताजे अपडेट्स और जांच से संबंधित सभी पहलुओं को जानने के लिए, आप न्यू इंडिया न्यूज नेटवर्क के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अपडेट रह सकते हैं:
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हिंसा की इस घटना के संदर्भ में पुलिस और प्रशासन की तरफ से कड़ी निगरानी रखी जा रही है। कोई भी राजनीतिक दल का नेता जब तक प्रशासन से अनुमति नहीं प्राप्त करता, उसे संभल में जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है, ताकि स्थिति और न बिगड़े।