
चंडीगढ़, 2 दिसंबर: हरियाणा सरकार ने 1 दिसंबर से नए कलेक्टर रेट लागू कर दिए हैं। इससे राज्य के विभिन्न जिलों में संपत्ति की खरीद-फरोख्त के लिए रजिस्ट्री की नई दरें लागू हो गई हैं। इन नए कलेक्टर रेट के लागू होने से जहां सरकार के खजाने में वृद्धि होगी, वहीं भूमि खरीदने वालों के लिए यह महंगा साबित हो सकता है।
नए कलेक्टर रेट से सरकारी खजाने को होगा लाभ:
नए कलेक्टर रेट लागू होने से राज्य सरकार के खजाने में वृद्धि होगी। सरकार ने यह कदम प्रदेश में विकास कार्यों के लिए अधिक धन एकत्रित करने के उद्देश्य से उठाया है। इस नए रेट के जरिए सरकार का लक्ष्य है कि भूमि और संपत्ति के लेन-देन से मिलने वाली राशि का उपयोग प्रदेश के विकास के लिए किया जाए।
भूमि खरीदने वालों के लिए महंगा पड़ेंगे नए कलेक्टर रेट:
हालांकि नए कलेक्टर रेट सरकार के खजाने के लिए फायदेमंद होंगे, लेकिन भूमि और संपत्ति खरीदने वालों के लिए यह महंगा साबित हो सकते हैं। नए कलेक्टर रेट के लागू होने से रजिस्ट्री शुल्क में वृद्धि होगी, जिससे संपत्ति खरीदने की लागत में भी इजाफा होगा। इस बदलाव से कुछ हद तक रियल एस्टेट बाजार पर भी असर पड़ सकता है।
ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया में बदलाव:
अब कलेक्टर रेट में वृद्धि के बावजूद, रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। पहले कुछ अधिकारी पुराने कलेक्टर रेट का इस्तेमाल करके रजिस्ट्री करने की कोशिश करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ऑनलाइन प्रणाली के कारण सभी रजिस्ट्री नए कलेक्टर रेट के अनुसार ही की जाएगी। इस व्यवस्था से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी गड़बड़ी न हो और पुराने रेट से रजिस्ट्री न हो सके।
मुख्यमंत्री का बयान:
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कलेक्टर रेट से प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल प्रदेश के विकास कार्यों में किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के विकास के लिए यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा, और गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस नए कदम से हरियाणा सरकार उम्मीद कर रही है कि राज्य में संपत्ति के लेन-देन में पारदर्शिता आएगी और विकास कार्यों के लिए आवश्यक धन जुटाया जा सकेगा।