किसान नेता राकेश टिकैत को पुलिस ने टप्पल में रोक लिया।
ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश – 4 दिसंबर 2024/ उत्तर प्रदेश के नोएडा में आज किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। इस महापंचायत में प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत, उनके भाई नरेश टिकैत और कई अन्य किसान यूनियन के नेता शामिल होंगे। इस महापंचायत का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब किसानों ने सरकार से मुआवजा बढ़ाने की मांग की है, और पहले दिए गए 7 दिन के अल्टीमेटम के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। किसानों ने सरकार को तीन दिन का समय दिया था, लेकिन अब तक सरकार और अधिकारियों के बीच बातचीत जारी है।
वे सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो वे सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी मौसम में, चाहे सर्दी हो या गर्मी, सरकार को चेतावनी देकर आंदोलन करेंगे। 2024 के अंत तक किसानों का विरोध और भी तेज हो सकता है। महापंचायत के मंच से यह घोषणा की गई कि अगर एक घंटे में राकेश टिकैत महापंचायत में नहीं पहुंचे, तो किसान नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल की ओर कूच करेंगे।
राकेश टिकैत को पुलिस ने रोका:
महापंचायत में शामिल होने के लिए ग्रेटर नोएडा आ रहे किसान नेता राकेश टिकैत को पुलिस ने टप्पल में रोक लिया। पुलिस की कार्रवाई के बाद किसान नेताओं और उनके समर्थकों में हंगामा मच गया। राकेश टिकैत के महापंचायत स्थल तक पहुंचने में देरी के कारण मंच से किसानों ने चेतावनी दी कि अगर वह एक घंटे के भीतर नहीं पहुंचे, तो किसान दलित प्रेरणा स्थल की ओर मार्च करेंगे।
पुलिस ने किसानों को रोका:महामाया फ्लाइओवर के पास पुलिस ने फिर से किसानों को रोका
महामाया फ्लाइओवर के पास पुलिस ने फिर से किसानों को रोका, और हंगामे के बीच उन्हें बसों में भरकर ले जाया गया। पुलिस की यह कार्रवाई किसान नेताओं और समर्थकों में आक्रोश का कारण बन गई। इस समय भाकियू के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष गौरव टिकैत भी महापंचायत में शामिल होने के लिए ग्रेटर नोएडा पहुंचे हैं।
किसानों का कहना था कि उनका संघर्ष जारी रहेगा
किसान नेता राकेश टिकैत के रोके जाने के बाद, महापंचायत में शामिल होने पहुंचे किसानों ने यह साफ कर दिया कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी जातीं, तो वे सरकार के खिलाफ अपना विरोध और तेज करेंगे। महापंचायत में किसानों का कहना था कि उनका संघर्ष जारी रहेगा और यदि आवश्यक हुआ तो वे आंदोलन को और बढ़ा सकते हैं।
अब यह देखना होगा कि सरकार इन किसानों की मांगों को मानती है या फिर पहले की तरह उन्हें निराश होना पड़ेगा। किसानों के आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार पर पड़ सकता है, खासकर 2024 के चुनावों के मद्देनजर।