
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2024: आज लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पर महत्वपूर्ण वोटिंग हुई। यह विधेयक केंद्र और राज्यों के चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से लाया गया था। इसका मुख्य मकसद चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाना और खर्च कम करना है। हालांकि, इस बिल को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है।
वोटिंग का परिणाम
लोकसभा में हुए मतदान में:
- 220 सांसदों ने समर्थन में वोट दिया।
- 149 सांसदों ने विरोध में अपना मत दर्ज कराया।
यह वोटिंग यह दर्शाती है कि इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच स्पष्ट मतभेद हैं। वोटिंग के परिणाम आने के बाद कुछ सांसदों ने अपनी स्थिति बदलने की इच्छा जताई, जिसके चलते इस पर दुबारा वोटिंग का निर्णय लिया गया।
पर्ची से वोटिंग का विकल्प
सांसदों को अपनी राय बदलने का अवसर देने के लिए पर्ची के माध्यम से मतदान की अनुमति दी गई। यह उन सांसदों के लिए उठाया गया कदम है जो अपना वोट दोबारा दर्ज करना चाहते थे।
संविधान संशोधन पर बहुमत का संकट
‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को पारित करने के लिए सरकार को संविधान संशोधन की जरूरत होगी, जिसके लिए विशेष बहुमत आवश्यक है। हालांकि, सरकार को पर्याप्त बहुमत न होने की वजह से विधेयक के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। विपक्षी दलों और अन्य सांसदों का समर्थन प्राप्त करना सरकार के लिए बेहद जरूरी हो गया है।
जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) का गठन
सरकार ने जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) बनाने की घोषणा की है। इस कमेटी का मुख्य कार्य इस विधेयक पर:
- गहन समीक्षा करना।
- इससे जुड़े सभी मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श करना।
जेपीसी के गठन से सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह पारदर्शिता बनाए रखते हुए विधेयक पर आगे बढ़ना चाहती है। यह कदम विपक्ष के विरोध और संशय को दूर करने के लिए उठाया गया है।
आगे की प्रक्रिया
संसद में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पर आगे की बहस जारी रहेगी। विपक्ष और सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा। यह विधेयक केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता बल्कि राजनीतिक ढांचे में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
संविधान संशोधन के लिए आवश्यक बहुमत मिलने पर ही यह बिल पास हो सकेगा। संसद का अंतिम निर्णय तय करेगा कि यह ऐतिहासिक विधेयक लागू हो पाता है या नहीं।