
नई दिल्ली, 23 दिसंबर :भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए पांचवीं और आठवीं कक्षा में छात्रों को फेल करने का प्रावधान लागू कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत, यदि छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल रहते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, छात्रों को दोबारा परीक्षा का मौका दिया जाएगा, लेकिन उसमें भी असफल होने पर उन्हें कक्षा दोहरानी होगी।
पुराने नियमों में बदलाव
2010-2011 से पहले तक पांचवीं और आठवीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाएं होती थीं। लेकिन बाद में छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने का नियम लागू किया गया था, जिसके कारण स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई। इस गिरावट का असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों पर भी पड़ा।
अब, निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम संशोधन 2024 के तहत यह बदलाव किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, राज्य सरकारों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे इन कक्षाओं के लिए परीक्षाएं आयोजित करें।
स्कूलों और राज्यों की जिम्मेदारी
इस नए नियम से राज्य सरकारों और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ गई है। राज्य चाहें तो परीक्षाओं का आयोजन अपने तरीके से कर सकते हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फेल होने वाले छात्रों को बेहतर तैयारी का अवसर दिया जाए।
नई व्यवस्था का उद्देश्य
इस कदम का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और छात्रों को प्रतिस्पर्धी माहौल में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करना है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव छात्रों को अनुशासित और मेहनती बनाने में सहायक होगा।