
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज का नामकरण:
नई दिल्ली, 3 जनवरी:
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक नए कॉलेज का नाम स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के नाम पर रखे जाने के फैसले पर छात्रों के संगठन NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। संगठन ने इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की “राजनीतिक मंशा” करार देते हुए नामकरण को बदलने की मांग की है। NSUI का कहना है कि कॉलेज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाना चाहिए।
NSUI ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा है।
NSUI की मुख्य मांगें:
1. वीर सावरकर के नाम पर आपत्ति:
NSUI ने वीर सावरकर का नामकरण करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि:
- सावरकर का इतिहास विवादास्पद रहा है।
- उनकी विचारधारा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को लेकर मतभेद हैं।
- सावरकर के नाम पर कॉलेज का नाम रखना विभाजनकारी हो सकता है।
2. डॉ. मनमोहन सिंह के नाम की सिफारिश:
NSUI ने यह प्रस्ताव दिया है कि:
- कॉलेज का नाम डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाए, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।
- उनकी उपलब्धियां और सादगी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं।
3. मनमोहन सिंह पर केंद्रीय विश्वविद्यालय और पाठ्यक्रम:
संगठन ने यह भी सुझाव दिया कि:
- पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
- डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन, उनके कार्यकाल, और उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
NSUI अध्यक्ष की प्रधानमंत्री को चिट्ठी:
NSUI के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा:
“वीर सावरकर का नाम राष्ट्रीय एकता के बजाय विभाजन की प्रतीक है। इसके विपरीत, डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र निर्माण का प्रतीक है। उनके नाम पर कॉलेज का नाम रखने से छात्रों को प्रेरणा मिलेगी।”
भाजपा और विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष:
भाजपा नेताओं का मानना है कि वीर सावरकर का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में उचित है।
- विश्वविद्यालय प्रशासन का तर्क है कि सावरकर की ऐतिहासिक भूमिका को छात्रों के बीच प्रसारित करना महत्वपूर्ण है।
- हालांकि, भाजपा और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
छात्रों और शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया:
इस मुद्दे ने शिक्षण समुदाय और छात्रों के बीच बहस छेड़ दी है।
- सावरकर समर्थक मानते हैं कि सावरकर का नाम देशभक्ति और बलिदान का प्रतीक है।
- वहीं, मनमोहन सिंह समर्थक कहते हैं कि उनका योगदान आधुनिक भारत के निर्माण में कहीं अधिक प्रासंगिक है।
NSUI का आरोप:
NSUI ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ऐतिहासिक हस्तियों का “राजनीतिक लाभ” के लिए इस्तेमाल कर रही है। संगठन का कहना है कि देश के विकास और आर्थिक प्रगति में योगदान देने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
कॉलेज के नामकरण को लेकर छिड़ा यह विवाद अब केवल नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विचारधारा और ऐतिहासिक हस्तियों की प्रासंगिकता की बहस में बदल चुका है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाते हैं।