
दिल्ली में प्रदूषण का कहर:
नई दिल्ली, 10 जनवरी। दिल्ली में प्रदूषण का संकट हर दिन गंभीर होता जा रहा है। जहरीली हवा और बढ़ते पॉल्यूशन के कारण स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। मासूम बच्चों में सांस की बीमारियां देखने को मिल रही हैं, वहीं दमा और खांसी के मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराने की नौबत आ गई है। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खतरनाक स्तर पर बना हुआ है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
बच्चों पर बढ़ता असर
बढ़ते प्रदूषण का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बच्चे आसानी से बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सांस लेने में तकलीफ, गले में जलन और खांसी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में कमी देखी जा रही है।
दमा और खांसी के मरीजों की हालत बिगड़ी
प्रदूषण के कारण दमा और खांसी के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ लग रही है। डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों को खुले में जाने से बचना चाहिए और जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें।
सरकार के कदम
दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए हैं, जैसे:
- निर्माण कार्य पर रोक: सभी निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
- डीजल जेनरेटर बंद: डीजल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है।
- परिवहन पर निगरानी: सड़कों पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
समस्या क्यों बनी हुई है?
हालांकि सरकार ने कई आदेश जारी किए हैं, लेकिन उनका पालन करने में कमी देखी जा रही है। निर्माण स्थलों पर प्रतिबंध के बावजूद काम जारी है, जिससे प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आ रही।
डॉक्टरों की सलाह
- घर से बाहर निकलने से पहले N95 मास्क का उपयोग करें।
- बच्चों और बुजुर्गों को विशेष रूप से प्रदूषित क्षेत्रों से दूर रखें।
- घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर शरीर को हाइड्रेट रखें।
समाधान की दिशा में जरूरी कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। कचरा जलाने पर रोक, हरित क्षेत्र बढ़ाना और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसके अलावा, सरकार और जनता को मिलकर इस संकट से निपटने के लिए प्रयास करने होंगे।
दिल्ली के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी बनती है कि प्रदूषण को रोकने में अपना योगदान दें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर पर्यावरण तैयार किया जा सके।