फर्जी वसीका के आरोप पर एफआईआर की सिफारिश
भिवानी: भूमि विवाद में
डीआरओ ने थाना प्रबंधक को लिखा पत्र, मामले में दोनों पक्षों के बयान शामिल
भिवानी, 10 जनवरी। भिवानी में एक भूमि विवाद को लेकर फर्जी वसीका (दस्तावेज़) पंजीकरण के मामले में गंभीर आरोप सामने आए हैं। राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले की तहसील उदासर के अंतर्गत विराटनगर निवासी श्रीमती जय देवी पत्नी शांति प्रकाश उर्फ शांति दास के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की गई है।
जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) और संयुक्त सब रजिस्ट्रार भिवानी ने इस संबंध में सिविल लाइन पुलिस स्टेशन के थाना प्रबंधक को पत्र लिखा है। पत्र क्रमांक 1950, दिनांक 8 जनवरी 2025, के तहत डीआरओ ने इस मामले को लेकर दोनों पक्षों के बयान पुलिस को भेजे हैं और आरोपी महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
फर्जी वसीका का मामला
डीआरओ ने पत्र में कहा है कि आरोपी महिला ने वसीका नंबर 8948, दिनांक 26 नवंबर 2024, को पंजीकृत करवाया था, जो प्रारंभिक जांच के बाद फर्जी पाया गया। जांच में यह खुलासा हुआ कि दस्तावेज़ में भूमि संबंधी तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। गवाहों रूपल और सुभाष द्वितीय के बयानों ने भी इस दस्तावेज़ को संदिग्ध बताया है।
फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर पंजीकरण कराना गंभीर
डीआरओ ने पत्र में स्पष्ट किया है कि महिला द्वारा पंजीकृत वसीका में अनियमितताएं पाई गई हैं। पत्र में कहा गया है कि यह मामला भूमि विवाद से जुड़ा हुआ है, और फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर पंजीकरण कराना गंभीर अपराध है। इस वसीका को रद्द करवाने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश दिए गए हैं।
आरोपी महिला के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
डीआरओ ने पुलिस को पत्र में दोनों पक्षों के बयान भेजे हैं और सिफारिश की है कि आरोपी महिला के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए। पुलिस से मामले की गहन जांच कर फर्जीवाड़े के आरोपों की पुष्टि करने और दोषियों को दंडित करने की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया गया है।
फर्जी दस्तावेज़ का बढ़ता खतरा
यह मामला भूमि विवादों में फर्जी दस्तावेज़ों के बढ़ते उपयोग की ओर इशारा करता है। प्रशासन और पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई न होने से इस प्रकार की घटनाएं अन्य लोगों को भी प्रेरित कर सकती हैं। डीआरओ के इस कदम को भूमि विवादों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
यह मामला दिखाता है कि कैसे फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए भूमि पर कब्जा जमाने की कोशिशें की जा रही हैं। डीआरओ द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस से सख्त कार्रवाई की सिफारिश की गई है। अब यह देखना बाकी है कि पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाती है और न्याय की प्रक्रिया को कितना प्रभावी बनाती है।