16 ठिकानों पर ED का छापा, बैंक लोन घोटाले में जांच
आरजेडी विधायक आलोक मेहता के 16 ठिकानों पर ED का छापा, बैंक लोन घोटाले में जांच तेज
नई दिल्ली 10 जनवरी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजद विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री आलोक मेहता के खिलाफ शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की। यह छापेमारी बिहार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 16 ठिकानों पर की गई। कार्रवाई का केंद्र वैशाली कोऑपरेटिव बैंक में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले से जुड़ा मामला है। इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं और बैंक लोन से संबंधित धोखाधड़ी की जांच की जा रही है।
क्या है मामला?
सूत्रों के अनुसार, वैशाली कोऑपरेटिव बैंक में करोड़ों रुपये के घोटाले की शिकायत के बाद यह छापेमारी की गई है। ED ने जानकारी दी है कि बैंक से लोन की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं और नियमों का उल्लंघन किया गया था। आरोप है कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने नियमों को ताक पर रखकर बड़े-बड़े लोन स्वीकृत करवाए, जिन्हें बाद में नहीं चुकाया गया।
प्रवर्तन निदेशालय की टीमों ने बिहार में पटना, वैशाली, और मुजफ्फरपुर के साथ-साथ दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी आलोक मेहता के ठिकानों पर छापे मारे। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डेटा और संपत्ति से जुड़े कागजात जब्त किए गए हैं।
ED की जांच का फोकस
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। आरोप है कि इस घोटाले के माध्यम से बैंक के धन का दुरुपयोग किया गया और काले धन को सफेद करने का प्रयास किया गया। अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
राजनीतिक हलचल
इस कार्रवाई ने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी है। राजद के नेताओं ने इस छापेमारी को केंद्र सरकार की “प्रतिशोधात्मक राजनीति” करार दिया। विधायक आलोक मेहता ने कहा,
“यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। मैं किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं, लेकिन केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है।”
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इस कार्रवाई की निंदा की। तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा बिहार में विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
छापेमारी के दौरान जब्त सामान
ईडी ने छापेमारी के दौरान कई डिजिटल उपकरण, बैंक खातों की जानकारी और जमीन-जायदाद से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं। इनमें से कुछ दस्तावेज सीधे तौर पर घोटाले से जुड़े बताए जा रहे हैं।
आगे की प्रक्रिया
ईडी अब इन दस्तावेजों और सबूतों की जांच करेगी। इस घोटाले में शामिल अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं की भूमिका की भी जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
निष्कर्ष
बिहार में यह मामला राजनीतिक और कानूनी रूप से बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। ईडी की कार्रवाई जहां घोटाले की जांच का हिस्सा है, वहीं विपक्ष इसे केंद्र सरकार की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बता रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।
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